कुमार विश्वास के इस ट्वीट पर छिड़ गई बहस, आप भी हो जाएंगे सोचने पर मजबूर
By पल्लवी कुमारी | Published: November 8, 2019 05:11 PM2019-11-08T17:11:54+5:302019-11-08T17:11:54+5:30
कवि कुमार विश्वास हमेशा ने जाति के आधार पर नौकरी देने वालों के खिलाफ एक तंज पर भरा ट्वीट किया है, जिसको लेकर सोशल मीडिया पर लोगों में बहस छिड़ गई है।
आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और कवि कुमार विश्वास हमेशा ही अपने ट्वीट को लेकर चर्चा में बने रहे हैं। उनका एक और ट्वीट वायरल हो रहा है, जिसपर बहस छिड़ गई है। कुमार विश्वास ने एक ट्वीट किया है, जिसमें एक विज्ञापन की तस्वीर है। विज्ञापन पर लिखा है- ''वृंदावन फूड प्रॉडक्ट्स कंपनी को नौकरी के लिए 100 पुरुष चाहिए। शर्त यह है कि सभी लोग अग्रवाल-वैश्य समुदाय के होने चाहिए।'' यह विज्ञापन अखबार में छपा था। इसी को लेकर कुमार विश्वास ने तंज भरा ट्वीट किया है, जो आपको सोचना पर मजबूर कर देगा।
कुमार विश्वास ने लिखा, ''बेहद शर्मनाक सोच व कार्य! संविधान की मर्यादा को तार-तार करते इस संस्थान के विरुद्ध एक कठोर व मानक कार्यवाही सरकार के “सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास” नारे को सत्य सिद्ध करेगी। जी ! आशा है आप सब जो कहते रहे हैं उसे मानते भी होगें ही।'' इस ट्वीट में कुमार विश्वास ने रेल मंत्री पीयूष गोयल और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और गृह मंत्रालय को भी टैग किया है।
बेहद शर्मनाक सोच व कार्य ! संविधान की मर्यादा को तार-तार करते इस संस्थान के विरुद्ध एक कठोर व मानक कार्यवाही सरकार के “सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास” नारे को सत्य सिद्ध करेगी @PiyushGoyal@myogiadityanath@HMOIndia जी ! आशा है आप सब जो कहते रहे हैं उसे मानते भी होगें ही 🙏🇮🇳 https://t.co/p0R3tj88VJ
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) November 7, 2019
जानिए क्या है पूरा विवाद
बिहार के नेता संजय यादव ने ट्वीट किया, ''रेलवे का ठेका लेने वाली वृंदावन फूड प्रॉडक्ट्स कंपनी को नौकरी हेतु 100 पुरुष चाहिए। लेकिन इस कंपनी की एक महत्वपूर्ण शर्त है कि नौकरी में अप्लाई करने वाले सभी लोग अग्रवाल-वैश्य समुदाय के ही होने चाहिए। इन्हें ब्राह्मण, राजपूत, दलित, पिछड़े, आदिवासी, अल्पसंख्यक और महिला स्टाफ नहीं चाहिए।'' इन्होंने ने भी अपने ट्वीट के साथ अखबार में छपा वह ऐड शेयर किया था। जिसमें अंग्रेजी में साफ-साफ लिखा है कि उन्हें नौकरी के लिए अग्रवाल-वैश्य समुदाय के ही लोग चाहिए।
रेलवे का ठेका लेने वाली वृंदावन फ़ूड प्रॉडक्ट्स कंपनी को नौकरी हेतु 100 पुरुष चाहिए।लेकिन इस कंपनी की एक महत्वपूर्ण शर्त है कि नौकरी में apply करने वाले सभी लोग अग्रवाल-वैश्य समुदाय के ही होने चाहिए।इन्हें ब्राह्मण, राजपूत,दलित,पिछड़े,आदिवासी,अल्पसंख्यक और महिला स्टाफ़ नहीं चाहिए pic.twitter.com/ntghQEPLaU
— Sanjay Yadav (@sanjuydv) November 7, 2019
ट्वीट पर छिड़ी बहस
कुमार विश्वास के ट्वीट के बाद इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है। एक यूजर ने लिखा है कि देश में जब आरक्षण व्यवस्था है, तो फिर ऐसे आरक्षण को गलत कैसे कहेंगे।
देश में जब आरक्षण व्यवस्था है
— sanjay jha (@sanju9213) November 7, 2019
तो फिर ऐसे आरक्षण
को गलत कैसे कहेंगे
नेता का बेटा, नेता
अभिनेता का बेटा अभिनेता
ये इसी मानसिकता को नहीं
दर्शाते
एक यूजर ने लिखा है, कवि महोदय आप अपनी जगह सही हैं। मगर ये भी अपनी जगह सही हैं। ये प्याज, लहसुन से परहेज करते हैं, इन्हें शुद्ध वैष्णव भोजन चाहिए। ये इनके धर्म के अनुसार मांग।
कवि महोदय आप अपनी जगह सही हैं। मगर ये भी अपनी जगह सही हैं। ये प्याज, लहसुन से परहेज करते हैं, इन्हें शुद्ध वैष्णव भोजन चाहिए। ये इनके धर्म के अनुसार मांग। इसे आ यूँ समझ लीजिए, जैसे झटका का मीट एक मुसरमान भाई नही खाएगा।
— Adv. RaushniArya (@AryaRaushni) November 7, 2019
कुछ समझे या मैं भी कविता लिखूं। साधुवाद🙏
एक यूजर ने लिखा, संविधान की मर्यादा में Right to Association का भी प्रावधान है।
भारत के हर वर्ग, जाति और समुदाय को अपनी मर्ज़ी के लोगों के साथ जुड़ने और कार्य करने की पूरी स्वतंत्रता है।संविधान की मर्यादा में Right to Association का भी प्रावधान है।
— राघव (@raghav4india) November 7, 2019
भारत के हर वर्ग, जाति और समुदाय को अपनी मर्ज़ी के लोगों के साथ जुड़ने और कार्य करने की पूरी स्वतंत्रता है।
यह किसी भी प्रकार से किसी अन्य वर्ग के साथ सामाजिक अन्याय कैसे हुआ कवि महोदय?
मूर्ख है जो विज्ञापन में लिख दिया वरना तमाम कौमें जमाने से यही कर रहीं हैं ??
— Neeraj⤴️🆗 (@The_real_Neeraj) November 7, 2019
अवसर देकर योग्यता की जाँच कर नियुक्ति करें
— Kajal Singh (@bhumihar_kajal) November 7, 2019
लेकिन अवसर की समानता को छीन लेने पर
योग्यता की जाँच कैसे होगी!?! 🤹♂😛
ये तो संविधान के मौलिक अधिकारों का भी हनन है। समानता का अधिकार कहाँ है!?!
भाई साहब सवर्ण मजबूर हो चुका अब
— अनारक्षित (@DeepakK92275987) November 7, 2019
इसलिए जैसे सरकार को भेदभाव का अधिकार मिला हुआ वैसे सवर्ण भी कर सकते हैं
जब संविधान और सरकारें जातिवाद करता करते हैं तब एक सामान्य वर्ग का आदमी भी वैसे ही महसूस करता है
जैसे अभी दूसरे समाज के साथ भेदभाव करने पर हो रहा है