ये क्या! इंडोनेशिया में मिला 'सोने का द्वीप', हजारों साल पुराने शहर से जुड़ी है ये दिलचस्प कहानी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 3, 2021 12:20 IST2021-11-03T12:20:31+5:302021-11-03T12:20:31+5:30

इंडोनेशिया के द्वीप को लेकर लोक कथाएं चलती रहती हैं कि यहां इंसान खाने वाले सांप रहते हैं। इस द्वीप से अभी तक गोतोखोरों को सोने की तलवार, सोने और मणिक से बनी अंगूठी आदि मिले हैं।

Indonesia 'Island of Gold' that lost years ago resurfaces in river | ये क्या! इंडोनेशिया में मिला 'सोने का द्वीप', हजारों साल पुराने शहर से जुड़ी है ये दिलचस्प कहानी

इंडोनेशिया में मिला 'सोने का द्वीप'

इंडोनेशिया की एक नदी में सोना निकल रहा है। लोगों को सोने के जेवर, अंगूठियां, बौद्ध मूर्तियां और चीन के कीमती सिरेमिक बर्तन मिल रहे हैं। कई सालों से गायब ये 'सोने का द्वीप' इंडोनेशिया के पालेमबैंग प्रांत की मूसी नदी में मिला है। नदी की तलहटी में सोने के आभूषण और कीमती वस्तुएं मिल रही हैं।    

द्वीप के बारे में कई हैं कई लोक कथाएं

इस द्वीप को लेकर इंडोनेशिया में लोक कथाएं चलती रहती हैं कि यहां इंसान खाने वाले सांप रहते हैं। ज्वालामुखी फटता रहता है। हिंदी भाषा में बात करने वाले तोते रहते हैं। 'सोने का द्वीप' नाम से प्रसिद्ध इस जगह को इंडोनेशिया के प्राचीन इतिहास में श्रीविजय शहर कहा जाता था।

कहते हैं एक समय ये बेहद रईस शहर था। यह समुद्री व्यापारिक मार्ग के बीच में पड़ता था। अब यही द्वीप मूसी नदी की तलहटी में मिला है। कहा जाता है कि यहां पर मलाका की खाड़ी पर राज करने वाले राजाओं का सम्राज्य था।

इतिहासकारों की मानें तो दो दशकों तक यहां से व्यापार होता रहा। 1390 मं श्रीविजयन राज के राजकुमार परमेश्वरा ने वापस अपने इलाके पर कब्जा जमाने का प्रयास किया था। लेकिन इसे पड़ोसी जावा राजा ने हरा दिया था। इसके बाद श्रीविजया चीनी डकैतों के लिए स्वर्ग बन गया था।

द्वीप से गोताखोरों को मिला अनगिनत सोना

अब तक गोतोखोरों को सोने की तलवार, सोने और मणिक से बनी अंगूठी, नक्काशीदार जार, वाइन परोसने वाला जग और मोर के आकार में बनी बांसुरी मिली है।

मरीन आर्कियोलॉजिस्ट सीन किंप्सले ने कहा कि आज तक श्रीविजया को खोजने के लिए सरकार की तरफ से किसी तरह का खनन कार्य नहीं किया गया है। जितने भी आभूषण या कीमती वस्तुएं इस नदी से निकलीं, उन्हें गोताखोरों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले निजी लोगों को बेच दिया।

शहर खोजने की जरूरत

सीन किंप्सले ने कहा कि लोगों को ये नहीं पता कि श्रीविजया में लोग क्या करते थे, किस तरह के कपड़े पहनते थे, कैसे रहते थे, क्या खाते थे। हमें उस शहर, उसके बनने, उसके खत्म होने को लेकर कोई जानकारी नहीं है। बस उसे खोजने की शुरुआत करनी है जिसके लिए इंडोनेशियाई सरकार को अनुमति देनी होगी।

पहले पालेमबैंग में हुए खनन कार्यों में यह पता चला है कि यह प्राचीन समय में एक रईस बंदरगाह था लेकिन इसके बहुत सबूत नहीं मिले हैं, सिवाय मंदिरों की नक्काशियों में।

इतिहासकारों का मानना है कि श्रीविजया शहर के घर नदी के ऊपर लकड़ियों के खंभों पर बनाए जाते थे। घर भी लकड़ियों के होते थे। इस तरह के घर आज भी इंडोनेशिया के कई इलाकों में देखने को मिल जाते हैं। इन घरों को देखने पर लगता है कि पूरा शहर नदी के ऊपर तैर रहा है।

Web Title: Indonesia 'Island of Gold' that lost years ago resurfaces in river

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