35 रुपये के लिए एक शख्स ने आईआरसीटीसी को ऐसा नाच नचाया कि रेलवे ने हाथ जोड़ लिये, जानिए पूरा मामला

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 31, 2022 04:03 PM2022-05-31T16:03:44+5:302022-05-31T16:10:27+5:30

राजस्थान के कोटा के रहने वाले इंजीनियर सुजीत स्वामी ने आईआरसीटीसी से 35 रुपये पाने के लिए करीब पांच साल लंबी लड़ाई लड़ी। मामले में हार कर रेलवे ने उन्हें 35 रुपये अदा करके हाथ जोड़ लिये लेकिन सुजीत की इस लंबी लड़ाई का फायदा अब लगभग 3 लाख लोगों को होने वाला है। जिन्हें रेलवे रिफंड के तौर पर लगभग 2.43 करोड़ रुपये वापस करेगा।

For 35 rupees, a person made IRCTC dance in such a way that railways folded their hands, know the whole matter | 35 रुपये के लिए एक शख्स ने आईआरसीटीसी को ऐसा नाच नचाया कि रेलवे ने हाथ जोड़ लिये, जानिए पूरा मामला

35 रुपये के लिए एक शख्स ने आईआरसीटीसी को ऐसा नाच नचाया कि रेलवे ने हाथ जोड़ लिये, जानिए पूरा मामला

Highlightsरेलवे ने सुजित से सर्विस टैक्स के नाम गलत तरीके से काटे गये 35 रुपये वापस करके हाथ जोड़ लिये इस लड़ाई का फायदा अब 3 लाख लोगों को मिलेगा, जिन्हें रेलवे 2.43 करोड़ रुपये रिफंड करेगादरअसल साल इस मामले में पेंच फसा, 2017 में केंद्र द्वारा लागू की गई जीएसटी व्यवस्था से

कोटा: महज 35 रुपये के लिए चली पांच साल लंबी जंग। रेलवे के इतिहास में 35 रुपये का मामला ऐसा जी का जंजाल बना था कि अंत में उसने राजस्थान के कोटा के रहने वाले इंजीनियर सुजीत स्वामी को 35 रुपये अदा करके हाथ जोड़ लिये लेकिन सुजीत की इस लंबी लड़ाई का फायदा अब लगभग 3 लाख लोगों को होने वाला है। जिन्हें रेलवे रिफंड के तौर पर लगभग 2.43 करोड़ रुपये वापस करेगा।

जी हां, सुजीत स्वामी को सूचना के अधिकार के तरह मिली जानकारी के अनुसार रेलवे ने 2.98 लाख आईआरसीटीसी यूजर्स को 2.43 करोड़ रुपये रिफंड करेगा।

दरअसल इस मामले में पेंच फसा दिया था केंद्र सरकार की लागू नई जीएसटी व्यवस्था ने। स्वामी ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था को लागू होने से पहले उन्होंने अपना रेलवे टिकट रद्द कराया था, जिसमें रिफंड के समय आईआरसीटीसी ने सर्विस टैक्स के नाम पर 35 रुपये काट लिये।

इसी 35 रुपये को पाने के लिए सुजीत ने कुल  50 आवेदन सूचना का अधिकार के तहत फाइल किये और पांच साल की लंबी लड़ाई के बाद आईआरसीटीसी ने इस मामले में अपनी गलती स्वीकार करते हुए उन्हें 35 रुपये वापस किये। लेकिन सुजित के लिए 35 रुपये पाने की लड़ाई इतनी आसान नहीं थी, इसके लिए उन्हें केवल रेलवे नहीं बल्कि चार सरकारी विभागों को चिट्ठी लिखनी पड़ी।

इस मामले में सुजित ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "35 रुपये वापस पाने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, वित्त मंत्री निर्माला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और जीएसटी काउंसिल को बार-बार ट्विटर पर टैग करके लिखा, जिसके बाद आईआरसीटीसी ने उनके पैसे वापस किये और 2.98 लाख अन्य यूजर्स को भी पैसे लौटाने की बात कही।"

35 रुपये की करिश्माई कथा-व्यथा को सुनाते हुए 30 साल के सुजित स्वामी ने कहा कि अप्रैल 2017 में केंद्र सरकार की नई जीएसटी व्यवस्था लागू होने के एक दिन बाद उन्होंने आईआरसीटीसी के जरिये 2 जुलाई को कोटा से नई दिल्ली के लिए सफर करने के लिए स्वर्ण मंदिर मेल में 765 रुपये का रेलवे टिकट बुक कराया।

हालांकि, बाद में उन्होंने टिकट को कैंसिल करवा दिया। जिसकी एवज में आईआरसीटी ने उन्हें टिकट रद्द करने के लिए 65 रुपये की बजाय 100 काटकर 665 रुपये रिफंड कर दिये।

सुजित ने कहा, आईआरसीटीसी ने उनसे सर्विस टैक्स के नाम पर 35 रुपये की अतिरिक्त वसूली की गई, जबकि उन्होंने गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने से पहले टिकट को रद्द किया था।

इसके बाद सुजित ने 65 रुपये पाने के लिए रेलवे और वित्त मंत्रालय के खिलाफ जंग छेड़ दी और इसके लिए उन्होंने हथियार बनाया आरटीआई को। मामले में उन्होंने फौरन ही आरटीआई दाखिल किया और उन्हें आईआरसीटीसी की ओर से जवाब मिला कि रेल मंत्रालय के वाणिज्यिक परिपत्र संख्या 43 के अनुसार जीएसटी लागू होने से पहले बुक किए गए और लागू होने के बाद रद्द किए गए टिकटों के लिए बुकिंग के समय लिया गया सर्विस टैक्स रिफंड नहीं किया जाएगा। इसलिए कारण उनके द्वारा रद्द किए गए टिकट पर 100 रुपये (लिपिकीय शुल्क के रूप में 65 रुपये और सर्विस टैक्स के तौर पर 35 रुपये) वसूले गए हैं।

हालांकि दूसरे आरटीआई में आईआरसीटी की ओर से कहा गया कि बाद में यह निर्णय लिया गया कि 1 जुलाई 2017 से पहले बुक किए गए और रद्द किए गए टिकटों के लिए बुकिंग के समय चार्ज किए गए सर्विस टैक्स को वापस कर दिया जाएग। तो इस तरह से उन्हें 35 रुपये की धनराशि वापस कर दी जाएगी।”

इस पूरे मामले में सबसे मजेदार बात यह हुई कि सुजित के बैंक अकाउंट में आईआरसीटीसी ने 1 मई, 2019 को 35 रुपये की जगह 33 रुपये रिफंड किया और उस 35 रुपये में से भी 2 रुपये सर्विस टैक्स के तौर पर काट लिये।

अब सुजित के पास 35 रुपये में से 33 रुपये तो मिल गये लेकिन बाकि बचे 2 रुपये के लिए उन्होंने फिर से जंग छेड़ दी और तीन साल की लंबी लड़ाई के आखिरकार बीते शुक्रवार आईआरसीटीसी ने इस मामले में हार मान ली।

सुजित ने बताया कि मुझे आईआरसीटीसी से 2 रुपये की वापसी के संबंध में मेल मिला, जिसमें मेरे बैंक डिटेल्स के वेरिफिकेशन के लिए लिखा गया था। सुजित ने कहा, “मैंने आईआरसीटीसी को अपने बैंक खाते का विवरण भेजा था, जिसके बाद सोमवार को मेरे अकाउंट में 2 रुपये का रिफंड भी जमा करा दिया गया।”

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