Fact Check: कोलकाता के इस अस्पताल में क्या केवल मुस्लिमों का इलाज होता है! जानें क्या है सच्चाई
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 4, 2021 12:34 PM2021-06-04T12:34:24+5:302021-06-04T12:34:24+5:30
सोशल मीडिया पर कोलकाता के एक अस्पताल को लेकर ये बात फैलाई जा रही है कि यहां केवल मुसलमानों का इलाज होता है। हालांकि ये दावा पूरी तरह झूठा और भ्रामक है।
कोरोना महामारी के इस भयंकर दौर में जब सबसे ज्यादा मेडिकल सुविधाओं की जरूरत है तो ऐसे समय में कोलकाता का एक अस्पताल हाल में सोशल मीडिया पर विवाद का केंद्र बन गया।
दरअसल कई फेसबुक यूजर्स ने तृणमूल कांग्रेस के नेता और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम की दो तस्वीरें पोस्ट की हैं। इसमें फिरहाद पुनर्निर्मित 'इस्लामिया अस्पताल' का उद्घाटन कर रहे हैं।
अब ममता बनर्जी सरकार पर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए यूजर्स ने दावा किया है कि हकीम द्वारा उद्घाटन किया गए 'नए' अस्पताल में केवल मुसलमानों का ही इलाज करेगा। इसे लेकर खूब विवाद भी सोशल मीडिया पर देखने को मिला।
हालांकि हम आपको बता दें कि ये बात पूरी तरह से झूठी है। इंडिया टुडे के मुताबिक मुताबिक इस्लामिया अस्पताल 1926 में स्थापित किया गया था, लेकिन पिछले पांच वर्षों से बंद था क्योंकि इमारत जर्जर हो चुकी थी।
इसे हाल ही में कोविड रोगियों के लिए पुनर्निर्मित किया गया और किसी भी जाति या धर्म का व्यक्ति यहां इलाज करवा सकता है।
करीब एक सदी पुराने अस्पताल को लेकर हलचल
रिपोर्ट के मुताबिक वायरल तस्वीर में इस्तेमाल किए गए हेडलाइन और कैप्शन से पता चलता है कि समाचार लेख 30 मई, 2021 को बंगाली दैनिक “आनंदबाजार पत्रिका” की वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 30 मई को फिरहाद ने कोविड के इलाज के लिए पुराने इस्लामिया अस्पताल के एक नए भवन का उद्घाटन किया।
कोलकाता के मेयर ने भी इस कार्यक्रम को ट्वीट करते हुए कहा था कि आज हमने CR Avenue पर संशोधित इस्लामिया अस्पताल का उद्घाटन किया। आईसीयू सुविधा और कोविड बिस्तरों के साथ, यह सुविधा कोलकाता के लिए #Covid19 #BengalFightsCorona के खिलाफ लड़ाई में मदद करेगी।
Today we inaugurated the revamped Islamia Hospital on CR Avenue
— FIRHAD HAKIM (@FirhadHakim) May 30, 2021
With an ICU facility & Covid Beds, this facility will aid in the battle against #Covid19 for Kolkata#BengalFightsCoronapic.twitter.com/hSXL9Nv1Iw
इसके बाद 2 जून को "द टेलीग्राफ" ने इस्लामिया अस्पताल के बारे में एक लेख के माध्यम से विस्तार से बताया। इस लेख के अनुसार, अस्पताल की स्थापना 1926 में की गई थी। लेकिन चूंकि इमारत जर्जर अवस्था में थी, इसलिए इसे तोड़ना पड़ा और अस्पताल को पांच साल के लिए बंद कर दिया गया।
हकीम ने पुनर्निर्मित भवन का उद्घाटन किया जिसमें 125 बिस्तरों की सुविधा को कोविड उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाना है।
सोशल मीडिया पर अस्पताल को लेकर फैलाया गया है झूठ
द टेलीग्राफ ने अस्पताल के महासचिव और कोलकाता नगर निगम के बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर के सदस्य अमीरुद्दीन से बात की। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि कोई भी कोविड रोगी जाति, धर्म या वर्ग के बावजूद अस्पताल में इलाज की मांग कर सकता है।
स्वास्थ्य केंद्र ने डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों को नई खोली गई कोविड इकाई को चलाने के लिए Charring Cross Nursing Home के साथ करार किया है।
वायरल दावे के बारे में चारिंग क्रॉस नर्सिंग होम के मालिक राहुल गाडिया से भी बात की गई। उन्होंने बताया कि यह पूरी तरह से झूठ है। यह अस्पताल किसी भी मरीज के लिए खुला है। हम मुसलमान नहीं हैं, और यहां का हर कर्मचारी भी मुसलमान नहीं है। किसी भी धर्म का मरीज यहां इलाज करा सकता है।
हकीम ने अस्पताल का उद्घाटन करते हुए कहा था कि राज्य सरकार ने इसके पुनर्निर्माण के लिए 3.75 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं और यहां सभी मरीजों का इलाज मुफ्त होगा।
हालाँकि, रिपोर्टों के अनुसार, 2012 में दक्षिण 24 परगना के भांगर में विशेष रूप से मुसलमानों के लिए एक अस्पताल बनाने का प्रस्ताव जारी किया गया था, लेकिन सरकार तीखी आलोचना के बाद इस प्रस्ताव को लेकर आगे नहीं बढ़ पायी।
बहरहाल फेसबुक पर कोलकाता के इस्लामिया अस्पताल को लेकर किया गया दावा भ्रामक और झूठा पाया गया है। यहां न केवल मुसलमानों के लिए बल्कि किसी भी धर्म के मरीज इलाज करा सकते हैं।