बिहार: बेटी समझ पाल रहे थे परिवार वाले, 12 साल बाद वह निकला लड़का
By एस पी सिन्हा | Published: October 30, 2018 07:47 PM2018-10-30T19:47:32+5:302018-10-30T19:47:32+5:30
आईजीआईएमएस के जेनेटिक साइंस विभाग के डॉक्टरों ने एक लड़के में लड़की के विकृत अंग को तीन चरणों में ऑपरेशन कर सुधार दिया है। पिछले 12 साल से परिवार वाले लड़के को लड़की समझ पालन-पोषण कर रहे थे। बाद में डॉक्टरों ने परीक्षण किया तो वह लड़का ही निकला।
बिहार में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक परिवार ने लड़की समझकर उसका लालन-पालन करना शुरू किया, लेकिन 12 वर्षों बाद वह लड़का के रूप में सामने आ गया। परिवार को समझ में हीं नही आ रहा है कि जिस बच्चे को लड़की समझ वे उसका लालन-पालन कर रहे हैं, वह वास्तव में लड़का है।
बताया जाता है कि पिछले कुछ माह से उसकी गतिविधियों से संदेह होने पर परिजनों ने चिकित्सक से दिखाने का निर्णय लिया। सबसे पहले बच्चे को जहानाबाद के स्थानीय चिकित्सकों से दिखाया तो वहां के डॉक्टरों ने इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) रेफर कर दिया।
आईजीआईएमएस के जेनेटिक साइंस विभाग के डॉक्टरों ने एक लड़के में लड़की के विकृत अंग को तीन चरणों में ऑपरेशन कर सुधार दिया है। पिछले 12 साल से परिवार वाले लड़के को लड़की समझ पालन-पोषण कर रहे थे। बाद में डॉक्टरों ने परीक्षण किया तो वह लड़का ही निकला।
जहानाबाद निवासी अनिल कुमार (बदला हुआ नाम) के परिवार वाले उसे लड़की समझ पालन पोषण कर रहे थे, क्योंकि उसे स्तन, पेशाब का रास्ता भी लड़कियों जैसा था। हाइड्रोसिल भी पेट के अंदर था। उसका नाम भी बंदना रख दिए थे, लेकिन उसकी हरकत लड़कों जैसा देख परिवार वालों को अक्सर शक होता था।
जब आईजीआईएमएस के डॉक्टरों ने जांच की तो सच का पता चला। यहां डॉक्टरों ने बच्चे की जांच की तो आश्चर्यचकित रह गए। डॉक्टरों ने गहनता से जांच की और पाया कि घरवाले जिसे बेटी समझ पाल रहे हैं, दरअसल वो उनका बेटा है। डॉक्टर विनीत कुमार ने कहा कि बच्चे के शरीर की जेनेटिक और हार्मोनल जांच की गई तो उसमें पता चला की वह पुरुष है और विकृत जननांग के कारण उसकी स्थिति लड़कियों जैसी दिखती थी।
डॉक्टर ने बताया कि यदि किसी बच्चे में विकृत अंग दिखे तो उसे छुपाना नहीं चाहिेए बल्कि उसका समुचित इलाज विशेषज्ञ डॉक्टर की देखरेख में करवानी चाहिए। उसके बाद सर्जरी के लिए चिकित्सकों का बोर्ड बनाया गया। डॉक्टरों की टीम ने तीन चरणों में बच्चे की सर्जरी की। बच्चे के सर्जरी करने वाले टीम के लीडर डॉक्टर विनीत कुमार ने कहा कि फिलहाल बच्चा अस्पताल में भर्ती है।
उसे दो दिनों बाद घर बाहर जाने की इजाजत दी जाएगी। वहीं, बच्चे के परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों ने उसे नया जीवन दिया है। अब तक उसे लड़की के रूप में पाल रहे थे। भय था कि कहीं सामाजिक अभिशाप का सामना न करना पड़े।इससे न केवल बच्चा, बल्कि पूरा परिवार भयभीत था। परिजनों की खुशी का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि डॉ विनीत ठाकुर के नाम पर ही बच्चे का नाम रख दिया है।
चाइल्ड सर्जन डॉ विनीत ठाकुर का कहना है कि 80 फीसदी मामलों में अभिभावक समझ नहीं पाते हैं और लड़कों को लड़की के रूप में पालते हैं। कई बार तो उसे किन्नर की संज्ञा दे दी जाती है, जिससे बच्चे हमेशा के लिए नारकीय जीवन जीने को विवश हो जाते हैं। लेकिन, अगर बच्चे को शुरू में ही जांच कर सुधार कर दिया जाए, तो उनका जीवन ही बदल सकता है।