अनोखा आविष्कारः 90 मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली सोफे वाली कार!, जानें आखिर क्या है कहानी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 3, 2023 08:12 PM2023-06-03T20:12:06+5:302023-06-03T20:12:59+5:30
2007 में ‘सुपर सोफा’ ने फर्नीचरों की दौड़ में हिस्सा लिया और 92 मील प्रति घंटा की गति के साथ खिताब जीतकर विश्व के सबसे तेज गति फर्नीचर के रूप में अपना नाम इतिहास में दर्ज कराया. चालक थे 38 वर्षीय मारेक तुरोव्स्की.
आज बेशक ड्राइवरलेस कारों या फ्लाइंग कारों का दौर हो, लेकिन एक वक्त ऐसा भी रहा था, जब सोफे को कार के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. वह भी 90 मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली कार.
और यह कोई बहुत पुराना दौर नहीं है, सिर्फ डेढ़ दशक पहले की बात है. 2007 में ‘सुपर सोफा’ ने फर्नीचरों की दौड़ में हिस्सा लिया और 92 मील प्रति घंटा की गति के साथ खिताब जीतकर विश्व के सबसे तेज गति फर्नीचर के रूप में अपना नाम इतिहास में दर्ज कराया. चालक थे 38 वर्षीय मारेक तुरोव्स्की.
उन्होंने इसे चलाने का अधिकार हासिल करने के लिए ईबे पर 1,376 ब्रिटिश पाउंड का भुगतान किया था. हालांकि उनका यह खर्च कार डीलर और मैकेनिक एडी चाइना की कंपनी सोफा डॉट कॉम ने उठाया था. दिलचस्प बात यह है कि तुरोव्स्की ने खुद एडी चाइना का ही नौ साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा.
जो एडी ने 1998 में अपनी ही बनाई लोफा (लिओपार्ड जैसा दिखने वाला सोफा) कार को 87 मील की गति से दौड़ाकर बनाया था. लोफा में तीन लोग बैठ सकते थे और इसमें 1300 सीसी का इंजन था, जो पीछे की ओर लगाया गया था.
एडी चाइना से यह पूछने पर कि क्या ऐसा वाहन चलाना लीगल है, उनका जवाब होता था- ‘बिल्कुल, बशर्ते आपने सीट बेल्ट पहनी हो. जहां तक सुपर सोफा का सवाल है, रेस जीतने के बाद उसे ईबे पर ही नीलाम कर दिया गया. और बिक्री से मिलने वाली रकम को नवजात मौतों की रोकथाम के लिए किए जा रहे अध्ययन को दान कर दिया गया.