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क्या है केरल के एलेप्पी शहर की 'कुठियट्टम' नाम के 'खूनी परंपरा' का सच

By धीरज पाल | Published: February 22, 2018 07:12 PM2018-02-22T19:12:28+5:302018-02-22T19:13:33+5:30

चूरल मूरियल कुठियट्टम नामक धार्मिक अनुष्ठान का एक हिस्सा है जिसके तहत आठ से 12 साल की उम्र के एक या...

चूरल मूरियल कुठियट्टम नामक धार्मिक अनुष्ठान का एक हिस्सा है जिसके तहत आठ से 12 साल की उम्र के एक या दो गरीब लड़कों को खरीदा जाता है। जिसके बाद उनकी पसलियों को छेदकर उसमें सोने और चांदी के धागे या बांस की डंडी डाली जाती है। यह बलिदान चेट्टिकुलंगरा मंदिर में भगवान को प्रसन्न करने के लिए दिया जाता है। आपको इस बलिदान के पीछे की चाहतों के बारे में जानकर हैरत होगी। जिसमें इंजीनियरिंग में दाखिला होने से लेकर शादीशुदा लोगों के माता-पिता बनने की चाहत और नौकरी पाने की इच्छा तक शामिल होती है।शुरुआत में यह बच्चे उन भक्तों के होते थे जो अपनी मुराद लेकर भगवान के दर पर जाते थे। लेकिन हर चीज की तरह, यह रस्म भी उन वंचित माता-पिता और रिश्तेदारों के बच्चों को आउटसोर्स कर दी गई जो तत्काल कुछ पैसा कमाना चाहते थे।

चेट्टिकुलंगरा मंदिर उन प्रमुख मंदिरों में शामिल है जहां ढाई सौ साल पुरानी यह परंपरा अब भी निभाई जाती है। इसके शुरू होने के पीछे कई कहानियां हैं। इनमें सबसे मशहूर उस राजा की कहानी है जो देवी भद्रकाली को प्रसन्न करना चाहते थे। राजा की प्रार्थना से प्रसन्न होकर भद्रकाली ने राजा को वरदान दिया। राजा ने अपनी प्रजा की खुशहाली मांगी।

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