googleNewsNext

Uttarakhand : चमोली आपदा में अबतक 32 लोगों की मौत, 206 लोग अभी लापता |Chamoli|Glacier Burst|Tapovan Dam|Tunnel

By गुणातीत ओझा | Published: February 11, 2021 01:55 AM2021-02-11T01:55:39+5:302021-02-11T01:56:15+5:30

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद हालात अब भी सामान्य नहीं हैं। ऋषिगंगा में रविवार को आई जल प्रलय ने भारी तबाही मचाई है।

उत्तराखंड आपदा
अब भी बुरे हैं हालात 206 लोगों का पता नहीं

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद हालात अब भी सामान्य नहीं हैं। ऋषिगंगा में रविवार को आई जल प्रलय ने भारी तबाही मचाई है। इस हादसे में अब भी 206 लोग लापता है इनमें से बिजली परियोजना की सुरंग में फंसे हुए करीब 25-35 मजदूरों को निकालने की कवायद जारी है। मंगलवार को रैणी गांव स्थित ऋषिगंगा परियोजना की साइट से चार और शव मिले। इस तरह कुल मृतकों की संख्या 32 तक पहुंच गई है।

रैणी-तपोवन त्रासदी में बिजली परियोजना की टनल में तीन दिन से फंसे लोगों को रेस्क्यू करना मुश्किल होता जा रहा है। टनल के अंदर मौजूद टनों मलबा बचाव कार्य में बाधा बन रहा है। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ मौके पर राहत और बचाव कार्य में जुटी है। लेकिन टनल के अंदर के हालात ऐसे हैं कि फंसे लोगों तक पहुंचना चुनौती बना हुआ है। 

तपोवन परियोजना में दो सुरंग हैं। दो किमी लंबी मुख्य टनल पूरी तरह बंद है। इसका मुहाना भी पूरी तरह मलबे में दबा है। मुख्य टनल से 180 मीटर लंबी दूसरी टनल जुड़ती है। इसी टनल से रास्ता खोलने का प्रयास चल रहा है। इस दूसरी टनल के साथ एक 450 मीटर लंबी सहायक टनल भी है, जहां करीब 30 मजदूरों के फंसे होने की सम्भावना है। जबकि पांच मजदूर दो किमी लम्बी मुख्य टनल में फंसे हुए है। लेकिन मंगलवार शाम तक भी 150 मीटर तक ही बचाव दल के सदस्य जा पा रहे हैं, जिसमें जेसीबी 120 मीटर तक ही पहुंच पाई है। 

बचाव अभियान की अगुवाई कर रहे एसडीआरएफ कमाडेंट नवनीत भुल्लर के मुताबिक जितनी सफाई हो रही है उतनी ही तेजी से मलबा पीछे से आ रहा है। यही कारण है कि घटना के पहले ही दिन टनल 70 मीटर तक खोल दी गई थी, जबकि इसके शेष दो दिन में कुल और 80 मीटर ही सफाई हो पाई है। जवान लकड़ी के फट्टे बिछाकर रास्ता बना रहे हैं। सुरंग निर्माण में लगी हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर नीरज कांत सहाय के मुताबिक जिस टनल में मजदूर फंसे हैं। उसकी चौड़ाई महज तीन मीटर ही हैं। ऐसे में ऑपरेशन में देरी से यहां हालात बिगड़ सकते हैं।

टॅग्स :उत्तराखण्डUttarakhand