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चीन में दोबारा लौट सकता है कोरोना का कहर, देखिए कैसे.

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 2, 2020 12:19 AM2020-04-02T00:19:58+5:302020-04-02T00:19:58+5:30

 

चीन ने पहली बार जानलेवा कोरोना वायरस के 1,541 ऐसे मामलों का खुलासा किया है जिसमें रोगी के भीतर वायरस के लक्षण दिखाई ही नहीं दिये. इस खुलासे ने ड्रैगन के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं है. चीन में कोरोना वायरस संक्रमण का नया दौर शुरु होने को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने एनएचसी के हवाले से एक बयान में कहा कि चीन ने ऐसे 1,541 रोगियों को सोमवार तक डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया था इनमें विदेश से आए 205 लोग शामिल थे. राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के प्रमुख चांग जाइल ने कहा चीन बुधवार से ऐसे रोगियों की संख्या और उनकी हालत के बारे में जानकारी प्रकाशित करेगा. एनएचसी के बयान में कहा गया है कोविड-19 से संक्रमित लक्षण-मुक्त रोगियों के कारण संक्रमण और अधिक फैल सकता हैं।हालांकि चीन में जानलेवा कोरोना वायरस का टीका विकसित किया जा रहा है. अगर वुहान में चल रहे टेस्ट से साबित होता कि यह टीका सुरक्षित और प्रभावी है तो चीन की योजना इस बीमारी से गंभीर रूप से प्रभावित अन्य देशों में भी इसका परीक्षण करने की है. चाइनीज अकादमी ऑफ इंजीनियरिंग की सदस्य चेन वेई ने बताया कि अधिकारियों की मंजूरी के बाद, 16 मार्च को वुहान में टीके के क्लीनिकल परीक्षण का पहला चरण शुरू किया गया था. यह सुचारू रूप से चल रहा है और इसके नतीजे इसी महीने अप्रैल में प्रकाशित किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि इस टीके का परीक्षण चीन में रहने वाले विदेशियों पर भी किया जाएगा. चीन के वुहान शहर से ही जानलेवा कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ था जो अब दुनिया के अधिकतर देशों में फैल चुका है।धीरे धीरे संक्रमण के मामले कम होने के बाद 1.1 करोड़ की आबादी वाले शहर में करीब दो महीने बाद हालात सामान्य हो रहे हैं. सरकारी चाइना डेली ने चेन वेई के हवाले से खबर दी कि शुरुआती नतीजे साबित करते हैं कि टीका सुरक्षित है और प्रभावी है और वैश्विक तौर पर महामारी का फैलना जारी रहता है तो हम अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिए विदेशों में टीके की प्रभावशीलता का परीक्षण करेंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह से इस टीके का इस्तेमाल कोरोना वायरस से बुरी तरह से प्रभावित देशों में भी जल्द से जल्द किया जा सकता है, ताकि इम महामारी को नियंत्रण में लाया जा सके. उन्होंने बताया कि कई देशों ने टीके में रुचि दिखाई है . चेन ने कहा कि यह अभी पता नहीं है कि टीके का इस्तेमाल करने के लिए कब मंजूरी मिलेगी, क्योंकि इसका सुरक्षित और प्रभावी साबित होना जरूरी है। क्लीनिकल परीक्षण के पहले चरण में 18 से 60 वर्ष की आयु के स्वस्थ लोगों को टीका लगाया गया था जिसका मकसद सुरक्षा और अन्य चीजों का मूल्यांकन करना है.चीन के वुहान शहर में लगभग 5,000 लोगों ने कोरोना वायरस टीका के लिए प्रथम चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए अपने नाम दर्ज कराए हैं थे. चाइना क्लिनिकल ट्रायल रजिस्टर के अनुसार, कोरोना वायरस टीका एडेनोवायरल वेक्टर का परीक्षण 18 से 60 वर्ष की आयु वाले स्वस्थ वयस्कों पर होंगे. ये रिसर्च छह महीने तक चलने की संभावना है। इसमें भाग लेने वाले लोगों को टीका लगने के बाद 14-दिन तक आसोलेशन में रहना होगा और उनकी सेहत की हालत हर दिन दर्ज की जाएगी.

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