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UP Teachers Latest News| UP Teachers Transfer News| 72000 शिक्षकों का होगा तबादला!

By गुणातीत ओझा | Updated: December 15, 2020 21:37 IST

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ठळक मुद्देउत्तर प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए राज्य का शिक्षा विभाग ठोस कदम उठाने की तैयारी में है।उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 72 हजार से ज्यादा ऐसे शिक्षक हैं, जो सरप्लस हैं।
यूपी में बड़े स्तर पर शिक्षकों के ट्रांसफर की तैयारीउत्तर प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए राज्य का शिक्षा विभाग ठोस कदम उठाने की तैयारी में है। उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 72 हजार से ज्यादा ऐसे शिक्षक हैं, जो सरप्लस हैं। यहां सरप्लस का मतलब यह है कि, स्कूलों में टीचरों की संख्या जरूरत से ज्यादा है। शिक्षा का अधिकार कानून लागू हुए नौ साल से ऊपर हो गया लेकिन अब भी आरटीई के मानकों के मुताबिक शिक्षकों की तैनाती स्कूलवार नहीं हो पाई है। इन बातों को ध्यान में रखकर अब बेसिक शिक्षा विभाग सरप्लस शिक्षकों का पहले अंतरजनपदीय तबादला और इसके बाद जिलों में तबादले व समायोजन के जरिए मानकों के मुताबिक तैनाती करने की जुगत में है।इस प्रक्रिया में ऑनलाइन व्यवस्था मददगार साबित हो सकती है। विभाग में सरप्लस शिक्षकों का मुद्दा नया नहीं है। केंद्र सरकार ने यूपी के सरकारी स्कूलों में तैनात 72,353 शिक्षकों को सरप्लस बताते हुए कहा है कि इनकी तैनाती नियमों के मुताबिक की जाए। आरटीई के मानकों के मुताबिक कक्षा एक से 5 तक 30 बच्चों पर एक शिक्षक का नियम है। वहीं जूनियर स्कूलों में 35 बच्चों पर एक शिक्षक का नियम बनाया गया है, लेकिन प्रदेश में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां शिक्षक तो 6-7 तैनात हैं लेकिन बच्चे 100 से ज्यादा नहीं है। ज्यादातर शहरी स्कूलों और शहर से सटे ग्रामीण स्कूलों में शिक्षकों की संख्या ज्यादा है। जब प्रदेश में आरटीई लागू हुआ तो स्कूलों में नामांकन का खेल चलने लगा। एक ही बच्चा आसपास के सभी स्कूलों में पंजीकृत किया जाने लगा। इससे निपटने के लिए सरकार ने नामांकित बच्चों की जगह मिड डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या के मुताबिक तैनाती का नियम बनाया लेकिन अनुपात सही करने में विभाग असफल रहा है। इससे पहले भी सरप्लस शिक्षकों का मुद्दा उठता रहा है लेकिन विभाग लाख कोशिशों के बाद भी इसे सही नहीं कर पा रहा है क्योंकि भर्तियों के समय अभ्यर्थी दूर-दूर के स्कूलों में भी नियुक्ति ले लेता है लेकिन तीन साल बाद जोर-जुगाड़ के सहारे वह अपने जिले में तबादला लेकर पहुंच जाता है। इसके चलते हमेशा असंतुलन की स्थिति बनी रहती है। 
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