अयोध्या को उत्तर प्रदेश की पहली 'सोलर सिटी' के रूप में विकसित करने की तैयारी, राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले काम पूरा करने में जुटे अधिकारी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 8, 2023 05:02 PM2023-10-08T17:02:55+5:302023-10-08T17:03:47+5:30

इस परियोजना में सरयू के किनारे एक सौर पार्क विकसित करना, सौर ऊर्जा से चलने वाली नौकाएं प्रदान करना, सौर स्ट्रीट लाइट लगाना, सार्वजनिक परिवहन में सौर ऊर्जा स्रोतों को अपनाना, विद्युतीकरण के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों पर मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट जैसी सौर ऊर्जा संचालित सुविधाएं प्रदान करना शामिल है।

Preparation to develop Ayodhya as Uttar Pradesh's first 'solar city' | अयोध्या को उत्तर प्रदेश की पहली 'सोलर सिटी' के रूप में विकसित करने की तैयारी, राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले काम पूरा करने में जुटे अधिकारी

(फाइल फोटो)

Highlightsअयोध्या को उत्तर प्रदेश की पहली 'सोलर सिटी' के रूप में विकसित करने की तैयारीमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व्यक्तिगत रूप से अयोध्या में जारी कार्यों की निगरानी कर रहे हैंबिजली अन्य स्रोतों से नहीं, बल्कि सौर ऊर्जा से आएगी

अयोध्या: अयोध्या में अगले साल जनवरी में होने वाले राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पहले शहर को उत्तर प्रदेश की पहली 'सोलर सिटी' के रूप में विकसित करने के लिए युद्ध स्तर पर काम जारी है। अधिकारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग (यूपीनेडा) ने राम नगरी को राज्य की पहली 'सोलर सिटी' के रूप में विकसित करने का काम शुरू कर दिया है।

राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने एक पखवाड़े पहले 'पीटीआई-भाषा' को बताया था कि आगामी 22 जनवरी को होने वाले 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और देशभर से लगभग 10 हजार गणमान्य लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। अधिकारियों के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व्यक्तिगत रूप से अयोध्या में जारी कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इसी साल मई में मंदिर शहर को सौर ऊर्जा से रोशन करने संबंधी कार्य का निरीक्षण करने के बाद कहा था, "अयोध्या सूर्यवंश की राजधानी है। इसलिए यहां बिजली अन्य स्रोतों से नहीं, बल्कि सौर ऊर्जा से आएगी।" इस परियोजना में सरयू के किनारे एक सौर पार्क विकसित करना, सौर ऊर्जा से चलने वाली नौकाएं प्रदान करना, सौर स्ट्रीट लाइट लगाना, सार्वजनिक परिवहन में सौर ऊर्जा स्रोतों को अपनाना, विद्युतीकरण के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों पर मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट जैसी सौर ऊर्जा संचालित सुविधाएं प्रदान करना शामिल है।

सरकारी भवन भी सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं और घरेलू उपयोग के लिए सौर ऊर्जा की पहुंच में सुधार कर रहे हैं। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कहा कि यह परियोजना उत्तर प्रदेश की महत्वाकांक्षी सौर ऊर्जा नीति-2022 का हिस्सा है। योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू 16 नगर निगमों और नोएडा को 'सोलर सिटी' के रूप में विकसित करना है। सौर ऊर्जा नीति के अनुसार, कोई भी शहर जहां बिजली की 10 प्रतिशत मांग नवीकरणीय ऊर्जा के जरिये पूरी की जाती है, उसे 'सोलर सिटी' माना जाएगा। यूपीनेडा के निदेशक अनुपम शुक्ला ने बताया, "अयोध्या को सौर शहर परियोजना के मॉडल के रूप में विकसित करने और अन्य प्रस्तावित शहरों में सौर नीतियों के कार्यान्वयन में सीख का उपयोग करने की योजना है।" सौर शहर परियोजना एक पंचवर्षीय (2023-28) योजना है, जिसमें सौर ऊर्जा पर आधारित स्ट्रीट लाइट, सरकारी भवनों पर सौर पैनल की स्थापना, चार्जिंग स्टेशनों के साथ ई-रिक्शा, सौर पेड़ और पीने के पानी के कियोस्क के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाले प्यूरीफायर जैसी सुविधाएं शामिल हैं। शुक्ला ने कहा, "हमें विश्वास है कि अयोध्या में चल रही अधिकांश परियोजनाएं जनवरी तक पूरी हो जाएंगी।"

परियोजना का सबसे बड़ा पहलू सरयू के तट पर एनटीपीसी ग्रीन द्वारा 40 मेगावाट के सौर संयंत्र की स्थापना है। जनवरी तक 10 मेगावाट की परियोजना के चालू होने की उम्मीद है। यूपीनेडा के अधिकारियों ने पुष्टि की कि परियोजना के लिए भूमि को अंतिम रूप दे दिया गया है और काम पहले से ही शुरू हो चुका है। उन्होंने बताया कि इस कार्य में 117 सरकारी भवनों की छत पर कुल 2.5 मेगावाट क्षमता के सौर पैनल स्थापित करना भी शामिल है। इसमें राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में 250 किलोवाट का सौर पैनल, कृषि विश्वविद्यालय में 155 किलोवाट का पैनल, जिला अदालत में 100 किलोवाट क्षमता का पैनल, राम कथा संग्रहालय में 58 किलोवाट का पैनल और विभिन्न सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में 50 किलोवाट का पैनल शामिल है। अधिकारियों ने 125 आवासीय और वाणिज्यिक भवनों पर छह मेगावाट की क्षमता के साथ सौर ऊर्जा उत्पादन स्थापित करने का भी लक्ष्य रखा है। यूपीनेडा ने पहले ही फिलिप्स द्वारा विशेष रूप से अयोध्या के लिए डिजाइन की गई 134 सौर स्मार्ट स्ट्रीट लाइट लगाई हैं। बाकी 276 को जल्द ही लगा दिया जाएगा।

अधिकारियों के मुताबिक, ये स्ट्रीट लाइट एक मॉड्यूलर डिजाइन के साथ आती हैं, जिसमें बैटरी को पोल के अंदर और शीर्ष पर सौर पैनल के साथ लगाया जाता है। सौर स्ट्रीट लाइट प्रसिद्ध राम पथ पर भी लगाई जाएंगी। यह 12.9 किलोमीटर की छह लेन वाली सड़क है, जो लखनऊ-अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग पर सहादतगंज से मंदिर तक और नयाघाट क्षेत्र में लता मंगेशकर चौक तक जाती है। इसके अलावा, शहर में 800 सोलर स्ट्रीट लाइट भी लगाई गई हैं। विभिन्न स्थानों पर एक किलोवाट क्षमता के 40 और 2.5 किलोवाट क्षमता के 18 सौर वृक्ष लगाए जा रहे हैं। इन सौर वृक्षों में एलईडी रोशनी के साथ शाखा जैसी संरचनाओं में सौर पैनल होंगे। अधिकारियों के अनुसार, शाखा जैसे पैनल छाया भी प्रदान करेंगे और इन्हें छोटे पेयजल कियोस्क या बेंच पर स्थापित किया जा सकता है।

यूपीनेडा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए दो सौर ऊर्जा संचालित ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित कर रहा है। किसानों को उनकी उपज के भंडारण की सुविधा देने के लिए मंडी में छह मीट्रिक टन का सोलर कोल्ड स्टोरेज भी स्थापित किया जा रहा है। जनवरी तक उपलब्ध हो जाने वाली अन्य सुविधाओं में प्रमुख सड़क चौराहों पर 150 सौर हाई-मास्ट लाइट, दिव्यांग भक्तों के लिए पांच समर्पित ई-रिक्शा और 10 सौर ऊर्जा संचालित जल कियोस्क (जिनमें से चार पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं) शामिल हैं। यूपीनेडा के अधिकारियों का दावा है कि शुरुआती चरण में जनवरी तक अयोध्या के लिए निर्धारित लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।

(इनपुट- भाषा)
 

Web Title: Preparation to develop Ayodhya as Uttar Pradesh's first 'solar city'

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