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Lok Sabha Elections 2024: पूर्व मंत्री डीपी यादव यूपी में नया मोर्चा बनाने में जुटे, तीन सितंबर को लखनऊ में करेंगे ऐलान, जानें क्या है लक्ष्य

By राजेंद्र कुमार | Updated: August 24, 2023 19:09 IST

Lok Sabha Elections 2024: तीसरे मोर्चे की अगुवाई राष्ट्रीय परिवर्तन दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मंत्री डीपी यादव और वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के नीति निर्देशक विश्वात्मा कर रहे हैं.

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ठळक मुद्देचार बार के विधायक डीपी यादव बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और भारतीय जनता पार्टी में भी रहे हैं.डीपी यादव ने लोकसभा चुनावों के पहले राज्य में एक नया मोर्चा गठित करने की कवायद शुरू कर दी है. यूपी में पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों की समस्याओं को लेकर आंदोलन शुरू करेंगे.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार में मंत्री रहे डीपी यादव यानी धर्म पाल यादव की किसी पहचान को मोहताज नहीं हैं. एक साधारण दूधिया से करोड़पति बने डीपी यादव यूपी की सँभल सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद भी रहे हैं. सपा के झंडे तले राजनीति में दांव आजमाने वाले चार बार के विधायक डीपी यादव बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और भारतीय जनता पार्टी में भी रहे हैं.

भाजपा में उनका सफर कुछ दिनों का ही रहा. उनकी दबंग छवि के कारण भाजपा में उनके आने का विरोध हुआ तो पार्टी से उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई. ऐसा ही व्यवहार अखिलेश यादव के चलते दस साल पहले सपा में उनके साथ हुआ. ऐसे अब डीपी यादव ने लोकसभा चुनावों के पहले राज्य में एक नया मोर्चा गठित करने की कवायद शुरू कर दी है. इस मोर्चे में प्रदेश के तमाम छोटे-छोटे दल शामिल होंगे.

ये छोटे दल मिलकर यूपी में पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों की समस्याओं को लेकर आंदोलन शुरू करेंगे. इसका पहला सम्मेलन तीन सितंबर को लखनऊ के रवींद्रालय में होगा. इसके बाद हर जिले में सम्मेलन के जरिये दलों को जोड़ने का अभियान शुरू होगा. कुल मिलाकर यूपी में यह नया मोर्चा भाजपा और विपक्षी दल दोनों के लिए ही चुनौती खड़ी करेगा, इस मोर्चे के गठन में जुटे नेताओं का यह दावा है. 

नए मोर्चे के गठन का उद्देश्य: 

यूपी में बनाए जाने वाले तीसरे मोर्चे की अगुवाई राष्ट्रीय परिवर्तन दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मंत्री डीपी यादव और वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के नीति निर्देशक विश्वात्मा कर रहे हैं. इस गठन का उद्देश्य भले ही अभी सामाजिक बताया जा रहा है, लेकिन इसका भविष्य सियासी है. गठबंधन बनाने में जुटे लोगों का कहना है कि प्रदेश के अन्य कई छोटे-छोटे दलों के नेता भी इसमें हिस्सा लेंगे.

खासतौर से उन नेताओं को भी मंच दिया जाएगा, जो किसी न किसी रूप में सपा और भाजपा की नीतियों से खिन्न हैं अथवा वहां से उपेक्षित चल रहे हैं. ऐसे दलों में पीस पार्टी से लेकर तमाम अन्य दल भी हैं. तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर लखनऊ के रविंद्रालय में तीन सितंबर को होने वाले कार्यक्रम का नाम तीसरा मोर्चा विमर्श रखा गया है.

इस कार्यक्रम के सह संयोजक विश्वात्मा कहते हैं, यूपी की सियासत में जनाधिकार को लेकर कोई भी दल बात नहीं कर रहा है. कोई संविधान का डर दिखा रहा है तो कोई अगड़े-पिछड़े के रूप में समाज को बांटने की कोशिश में लगा हुआ है.

प्रदेश के करीब दो दर्जन से ज्यादा दल ऐसे हैं जो जनता के मुद्दे उठाते हुए लंबे समय से सक्रिय हैं. इस दलों का साथ समय-समय पर सपा और बसपा ने लिया लेकिन बाद में भुला दिया. ऐसे में अब इन सभी को मिलाकर तीसरा मोर्चा गठित करने का प्रयास किया जा रहा है. 

डीपी यादव का कहना है कि तीसरे मोर्चे में शामिल हो रहे दल अलग-अलग जिलों में सियासी ताकत रखते हैं. यह दल और उनके नेता अपने क्षेत्र में वोट बैंक में सेंधमारी कर भाजपा व सपा से अलग सियासी संघर्ष को त्रिकोणीय बना सकते हैं। ऐसे में लोकसभा क्षेत्रवार तीसरा मोर्चा बड़े दलों के लिए चुनौती बन सकता है.

इसके चलते ही अब तीन सितंबर को होने वाले ‘तीसरा मोर्चा विमर्श’सम्मेलन में मोर्चे के गठन को लेकर विस्तार से चर्चा कर रणनीति तैयार की जाएगी. इस सम्मेलन में डीपी यादव और विश्वात्मा के अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह यादव, उन्नाव जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रामकुमार यादव, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. रतन लाल अपने विचार रखेंगे. 

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