Lok Sabha Elections 2024: तो मायावती अकेले लड़ेंगी लोकसभा का चुनाव!, विपक्षी नेताओं की बैठक पर ट्वीट, 'दिल मिले ना मिले हाथ मिलाते रहिए'
By राजेंद्र कुमार | Updated: June 22, 2023 20:35 IST2023-06-22T20:34:03+5:302023-06-22T20:35:55+5:30
Lok Sabha Elections 2024: मायावती ने बैठक पर तंज कसते हुए कहा, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी नेताओं की पटना बैठक 'दिल मिले ना मिले हाथ मिलाते रहिए' की कहावत को ज्यादा चरितार्थ करती है.

मायावती को इस बैठक में नीतीश कुमार ने बुलावा नहीं भेजा है.
लखनऊः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए पटना में शुक्रवार को होने वाली बैठक से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती को कोई उम्मीद नहीं है. मायावती ने इस बैठक पर तंज कसते हुए कहा है, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी नेताओं की पटना बैठक 'दिल मिले ना मिले हाथ मिलाते रहिए' की कहावत को ज्यादा चरितार्थ करती है.
मायावती का मानना है कि अगर लोकसभा चुनाव की तैयारियों को ध्यान में रखकर इस प्रकार के प्रयास से पहले यह पार्टियां जनता में उनके प्रति आम विश्वास जगाती तो ठीक होता. अपने गिरेबान में झांक कर अपनी नीयत को साफ करतीं तो सही होता. मुंह में राम बगल में छुरी आखिर कब तक चलेगा. मायावती के इस कथन से अब यह साफ हो गया है बसपा अब अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ेगी.
हालांकि मायावती की नजर पटना में विपक्षी नेताओं की होने वाली बैठक पर अभी भी है. मायावती को इस बैठक में नीतीश कुमार ने बुलावा नहीं भेजा है. ऐसे में अब मायावती का फोकस इस इस बात पर है कि इस बैठक में कांग्रेस का दूसरी पार्टियों के साथ चुनावी गठबंधन को लेकर कोई निर्णय होता है या नहीं.
अगर कोई फैसला होता है तो वह अपनी एकला चलो नीति पर पुनर्विचार कर सकती हैं. परंतु अभी तो मायावती ने लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ने का मन बनाया है. और बुधवार को इस संबंध में पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ हुई बैठक में चुनावी तैयारी करने के निर्देश भी दिए हैं.
पार्टी नेताओं के अनुसार बसपा आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर दलित, अति पिछड़े और मुसलमान वोटरों को लेकर एक नया सामाजिक फार्मूला के आधार पर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. इसके तहत मायावती ने टिकट वितरण का फार्मूला भी तय किया है जिसके अनुसार वह करीब 30 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देगी.
एससी समाज के 18 प्रत्याशियों को आरक्षित सीटों पर चुनाव मैदान में उतारेंगी, बाकी की सीटों पर ब्राह्मण और पिछड़े और अति पिछड़े समाज के लोगों को टिकट दिया जाएगा. ब्राह्मण समाज के लोगों के बीते लोकसभा चुनावों से कम सीटों पर बसपा इस बार टिकट देगी. अपनी इस चुनावी तैयारी के आधार पर ही गुरुवार को मायावती ने पटना में होने वाली बैठक को लेकर अपने रुख को साफ किया है.
मायावती हमेशा ही स्पष्ट बात कहती है, फिर चाहे उनका कहा किसी को बुरा ही लगे. यही वजह है कि उन्होने विपक्षी एकता को लेकर होने वाली बैठक की खामियों की ओर गुरुवार को इशारा करते हुए अपनी बात कही. मायावती का कहना है कि यूपी में लोकसभा की 80 सीट चुनावी सफलता की कुंजी हैं.
लेकिन विपक्षी पार्टियों के रवैए से ऐसा नहीं लगता कि वह यहां (यूपी) अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के प्रति गंभीर या सही मायने में चिंतित हैं. मायावती का ये कथन यूपी में विपक्षी गठबंधन को लेकर है, जिसमें अखिलेश यादव कांग्रेस और बसपा दोनों से ही दूरी बनाते हुए है.
मायावती का मत है कि अखिलेश ही यूपी में विपक्षी एकता के सबसे बड़े अवरोधक हैं. इसलिए अब बसपा विपक्षी एकता के चक्कर से दूर रहते हुए अपनी चुनावी तैयारी में जुटेगी. बसपा मुखिया मायावती द्वारा ट्वीट के जरिए विपक्षी एकता को लेकर होने वाली बैठक पर किए गए तंज़ का यही राजनीतिक सदेश बताया जा रहा है.
ऐसे में अब बसपा जनता के मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में अकेले ही उतरेगी. और महंगाई, बेरोजगारी और दलितों के खिलाफ बढ़ते अपराध पर लोगों को जागरूक करेगी. इसके अलावा लव जिहाद, धर्मांतरण, लव जिहाद और बुलडोजर पॉलिसी के बहाने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की मोदी -योगी सरकार तथा भाजपा की कोशिशों को बेनकाब करेगी. मायावती को भरोसा है कि पार्टी के समर्थक उनका साथ देंगे, इसी भरोसे के आधार पर बसपा सुप्रीमो ने विपक्षी दलों और भाजपा दोनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.