लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के उस बयान पर पलटवार किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि मायावती पर भरोसा नहीं किया जा सकता। मायावती ने कहा है कि सपा प्रमुख को बीएसपी पर अनर्गल तंज कसने से पहले अपने गिरेबान में भी झांककर जरूर देख लेना चाहिए।
एक्स पर मायावती ने लिखा, "अपनी व अपनी सरकार की ख़ासकर दलित-विरोधी रही आदतों, नीतियों एवं कार्यशैली आदि से मजबूर सपा प्रमुख द्वारा बीएसपी पर अनर्गल तंज़ कसने से पहले उन्हें अपने गिरेबान में भी झांककर जरूर देख लेना चाहिए कि उनका दामन भाजपा को बढ़ाने व उनसे मेलजोल के मामले में कितना दाग़दार है।"
मायावती ने आगे लिखा, साथ ही, "तत्कालीन सपा प्रमुख द्वारा भाजपा को संसदीय चुनाव जीतने से पहले व उपरान्त आर्शीवाद दिए जाने को कौन भुला सकता है। और फिर भाजपा सरकार बनने पर उनके नेतृत्व से सपा नेतृत्व का मिलना-जुलना जनता कैसे भूला सकती है। ऐसे में सपा साम्प्रदायिक ताकतों से लडे़ तो यह उचित होगा।"
अखिलेश ने क्या कहा था
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार, 6 जनवरी को बसपा अध्यक्ष मायावती के ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल होने को लेकर किए गए सवाल पर मायावती पर भरोसे के संकट की बात कही थी। मायावती के ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल होने पर गठबंधन के मजबूत होने को लेकर पूछे जाने पर अखिलेश ने पलटकर पत्रकारों से सवाल किया कि ''उसके बाद का भरोसा आप दिलाएंगे। बाद का भरोसा आप में से कौन दिलायेगा।"
इसके अलावा अखिलेश यादव ने कहा कि विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' में सीटों के बंटवारे पर सभी फैसले सूर्य के उत्तरायण में आते ही हो जायेंगे। राम मंदिर को लेकर चुनावी लाभ उठाने की चर्चा पर उन्होंने कहा, "धर्म, राजनीति का हिस्सा नहीं हो सकता। भाजपा को आय दोगुनी (किसानों) हुई कि नहीं, युवाओं को रोजगार मिला कि नहीं, इन सवालों का जवाब देना पड़ेगा।" सपा प्रमुख ने कहा, "चूंकि भाजपा के पास इन सवालों का जवाब नहीं है, इसलिए वह धर्म के पीछे छिप जाती है।"
राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "भाजपा के लोग कह रहे हैं कि जिसके पास निमंत्रण पत्र होगा, वही जायेगा। हमारा पक्ष ये है कि भगवान जब बुलाएंगे तो भाजपा भी नहीं रोक पाएगी।" प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के सवाल पर यादव ने कहा "कभी कभी कम (सीटों) वाले भी प्रधानमंत्री बनते हैं पर, हमारे लिए मुख्य यह है कि भाजपा हारे।" उन्होंने कहा, "सवाल यह नहीं है कि कौन किस पद पर बैठेगा। यहां के प्रधानमंत्री (चंद्रशेखर) रहे हैं। आप इन बातों को समझते हो और परिस्थितियों को भी समझते हो...।"