1950 में सत्यजीत रे को लंदन जाने का मौका मिला। यहां उन्होंने कई फिल्में देखीं. इन्हीं में से एक फिल्म थी ‘बाइसकिल थीव्स’। बस इसी फिल्म को देखने के बाद सत्यजीत ने पाथेर पांचाली बनाने की ठान ली थी। ...
मीना कुमारी न केवल महान अभिनेत्री थीं बल्कि एक काबिल शायरा भी थीं। मीना कुमारी की मृत्यु के बाद गुलज़ार के संपादन में उनकी शायरी की किताब प्रकाशित हुई थी। मीना कुमारी की पुण्यतिथि 31 मार्च को पढ़िए उनके चुनिंदा शेर। ...
सात साल की उम्र से बेबी मीना के नाम से पहली बार फ़िल्म मीना कुमारी ने फरज़द-ए-हिंद में दिखाई दीं। इसके बाद लाल हवेली, अन्नपूर्णा, सनम, तमाशा आदि कई फिल्में कीं। ...
Chandra Shekhar Azad Death Anniversary: 'जबतक तुम्हारे पंडित जी के पास ये पिस्तौल है ना तबतक किसी मां ने अपने लाडले को इतना खालिस दूध नहीं पिलाया जो आजाद को जिंदा पकड़ ले।'- चंद्रशेखर आजाद ...
1991 में आई फिल्म लम्हे भी श्रीदेवी के करियर की सबसे कल्ट फिल्मों में गिना जा सकता है। कभी मैं कहूं...कभी तुम कहो....मोरनी बागा मां बोले जैसे खूबसूरत ट्रैक के साथ ये फिल्म लोगों के दिलों में आज भी घर किये बैठी है। ...