मिलिए शायरा मीना कुमारी से, पढ़िए उनके चुनिंदा शेर
By संदीप दाहिमा | Published: March 31, 2019 08:06 AM2019-03-31T08:06:47+5:302019-03-31T08:06:47+5:30
मीना कुमारी न केवल महान अभिनेत्री थीं बल्कि एक काबिल शायरा भी थीं। मीना कुमारी की मृत्यु के बाद गुलज़ार के संपादन में उनकी शायरी की किताब प्रकाशित हुई थी। मीना कुमारी की पुण्यतिथि 31 मार्च को पढ़िए उनके चुनिंदा शेर।
मीना कुमारी का जन्म एक अगस्त 1933 को मुंबई (तब बॉम्बे) में हुआ था। महज चार साल की उम्र में उन्होंने फिल्मों में अभिनय शुरू कर दिया था। 18 की उम्र में मीना कुमार ने लेखक-निर्देशक कमाल अमरोही से शादी कर ली। मीना कुमारी का फिल्मी करियर जितना शानदार था, उनका निजी जीवन उतना ही त्रासद था। यह महज संयोग नहीं था कि बड़े पर्दे पर उन्हें त्रासद भूमिकाओं के लिए ज्यादा ख्याति मिली।
कमाल अमरोही से मीना कुमारी का वैवाहिक जीवन करीब एक दशक बाद टूट गया। अमरोही से अलग होने के बाद उनका नाम कई सितारों से जुड़ा जिनमें अभिनेता धर्मेंद्र और गीतकार गुलजार प्रमुख हैं। अभिनय के साथ-साथ मीना कुमारी शायरी भी करती थीं और 'नाज़' तखल्लुस से लिखती थीं।
मीना कुमारी ने मरने के बाद अपनी डायरी का पूरा अख्तियार गुलजार को सौंपा था। गुलजार ने ही मीना कुमारी के देहांत के बाद उनकी शायरी को किताब के तौर पर प्रकाशित कराया था। आज मीना कुमारी की पुण्यतिथि पर पढ़िए उनके कुछ चुनिंदा शेर-
तू ने भी हम को देखा हम ने भी तुझ को देखा
तू दिल ही हार गुज़रा हम जान हार गुज़रे
यूँ तेरी रहगुज़र से दीवाना-वार गुज़रे
काँधे पे अपने रख के अपना मज़ार गुज़रे
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा
हम-सफ़र कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे यहाँ तन्हा
आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता
दिल तोड़ दिया उस ने ये कह के निगाहों से
पत्थर से जो टकराए वो जाम नहीं होता
उदासियों ने मिरी आत्मा को घेरा है
रू पहली चाँदनी है और घुप अंधेरा है
उफ़ुक़ के पार जो देखी है रौशनी तुम ने
वो रौशनी है ख़ुदा जाने या अंधेरा है