अयोध्या एक राजनीतिक, ऐतिहासिक, सामाजिक-धार्मिक डीबेट का विषय है। दशकों ने इस विवाद ने भारत ने ना जाने कितनी अशांति फैलाई है। अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 से पहले 2.77 एकड़ के भूखंड के 0.313 एकड़ हिस्से में यह विवादित ढांचा मौजूद था जिसे कारसेवकों ने गिरा दिया था। 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने का फैसला सुनाया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया है।