राजनीतिज्ञों के लिए प्रशिक्षण जरूरी: वेंकैय्या नायडू
By शिरीष कुलकर्णी | Published: July 4, 2023 08:00 PM2023-07-04T20:00:00+5:302023-07-04T20:12:55+5:30
समारोह में हिस्सा लेते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैय्या नायडू ने कहा है कि वर्तमान में राजनीतिज्ञों के लिए किसी भी पार्टी का भेद किये बिना प्रशिक्षण देने की सख्त आवश्यकता है, जिससे सरकार के विकास कार्यों के साथ ही जनकल्याण की विभिन्न पहलों को जागर किया जा सके।
हैदराबाद: देश के पूर्व उपराष्ट्रपति माननीय वेंकैय्या नायडू ने देश में उभरे राजनीतिक हालात पर परोक्ष रूप से चुटकी लेते हुए कहा कि वर्तमान में राजनीतिज्ञों के लिए किसी भी पार्टी का भेद किये बिना प्रशिक्षण देने की सख्त आवश्यकता है, जिससे सरकार के विकास कार्यों के साथ ही जनकल्याण की विभिन्न पहलों को जागर किया जा सके.
हैदराबाद के यूसुफगुड़ा स्थित राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम संस्थान में मंगलवार को आयोजित 61वें स्थापना दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए श्री वेंकैय्या नायडू ने यह बात कही है.
गुरु पूर्णिमा पर क्या बोले वेंकैय्या नायडू
सोमवार को मनाई गई गुरु पूर्णिमा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि गुरू हमें ज्ञान और विवेक प्रदान करते हैं. हालाँकि आज गूगल पर हर तरह का ज्ञान उपलब्ध है, लेकिन इसके बावजूद गूगल किसी भी स्थिति में गुरु का स्थान नहीं ले सकता.
उन्होंने कहा कि ओरिएंटेशन और ट्रेनिंग प्रेग्रामों के महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने कौशल विकास कार्यक्रमों का संचालन शुरू किया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रिफार्म, परफॉर्म एण्ड ट्रान्सफार्म का मंत्र दिया है, जिसका अर्थ है सुधार करो, क्रियान्वित करो और रुपांतरित करो है. देश के लिए, लोगों की भलाई के लिए रुपांतरण जरूरी है।
वेंकैय्या नायडू ने प्रशिक्षण और अनुसंधान के बारे में यह कहा है
उन्होंने कहा कि हमें हमारी व्यवस्था का तो रुपांतरण करना ही होगा, देश की व्यवस्था के अनुसार काम करने के लिए लोगों की सोच को भी रुपांतरित करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण और अनुसंधान का अंतिम उद्देश्य लोगों को अधिक खुशहाल जीवन प्रदान करना होता है.
प्रशिक्षण से हमें काफी ज्ञान मिलता है. आजकल सोशियल मीडिया में हमें विभिन्न तरह की जानकारियाँ मिलती हैं, लेकिन प्रशिक्षण से हमें सही और गलत में अंतर पहचानने का अवसर मिलता है. प्रशिक्षण के दौरान हमें पुस्तकें पढ़ने का अवसर मिलता है, प्रशिक्षक से अपनी शंकाएँ और मन में उठने वाले सवाल पूछने का अवसर मिलता है.
राजनीतिक पार्टियों के संबंध में क्या बोले पूर्व उपराष्ट्रपति
इससे हमें समुचित जानकारी मिलने के साथ उसके रुपांतरण का भी अवसर मिलता है। इसी कारण हमारे जीवन में प्रशिक्षण का काफी अधिक महत्व है. उन्होंने कहा कि वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए राजनीतिक पार्टियों द्वारा भी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के संचालन की आवश्यकता महसूस हो रही है.
राजनीतिक पार्टियों को भी प्रशिक्षण और पूर्वाभिमुखीकरण प्रक्रिया (ट्रेनिंग और ओरिएन्टेशन प्रोसेस) शुरू करनी चाहिए. इससे वह किसी राजनीतिक पार्टियों का भेद किये बिना सरकार की विभन्न पहलों और विकास की जानकारी का प्रसार कर सकते हैं.
अपनी युवावस्था के संबंध में वेंकैय्या नायडू ने यह कहा
उन्होंने अपनी युवावस्था की यादों को ताजा करते हुए कहा कि उस समय जनसंघ और कम्युनिस्ट पार्टी के अलावा आचार्य एन.जी रंगा की स्वतंत्र पार्टी द्वारा राजनीतिज्ञों के लिए प्रशिक्षण कक्षाओं का संचालन किया जाता था. वर्तमान में राजनीतिक पार्टियों द्वारा भी इसी तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण से हमें एक तरह का नजरिया प्राप्त होता है, जिससे हम विभिन्न तरह के माहौल को पहचान सकते हैं. उन्होंने अनुभवों को संजोकर रखने और उन्हें साझा करने की आवश्यकता पर भी जोर देते हुए कहा कि अनुभवों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं.
हमें दूसरों की गलती से सीखना चाहिए-वेंकैय्या नायडू
एक उक्ती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ‘वाइज मैन लर्न फॉर्म आदर्स एक्सपीरियंस एण्ड फूल्स लर्न फॉर्म ओन एक्सपीरियन्स’ यानी बुद्धिमान लोग दूसरों के अनुभवों से सीखते हैं, बल्कि मूर्ख लोग अपने अनुभवों से सीखते हैं. उन्होंने कहा कि हमें अपने अनुभवों से सीखने का इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि दूसरों के अनुभवों से सीख लेनी चाहिए और अपने अनुभवों को उसमें जोड़ना चाहिए.
एमएसएसमई को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी बताया. हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के योगदान के बल पर भारतीय अर्थव्यवस्था विश्वभर में पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है. उन्होंने कहा कि इस गति को बरकरार रखते हुए सही दिशा में प्रयास किये गए, तो भारत विश्वभर में तीसरी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था बनने में देर नहीं लगेगी।
उन्होंने कहा कि फिलहाल पूरा विश्व की भारत की ओर देख रहा है. उन्होंने एमएसएमई के माध्यम से उद्योगों का प्रशिक्षण ग्रामीण स्तर तक पहुँचाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
क्षेत्रीय भाषाओं और अन्य भाषाओं के बारे में क्या बोले पूर्व उपराष्ट्रपति
वेंकय्या नायडू ने ग्रामीण स्तर के लोगों तक प्रशिक्षण सही मायने में पहुँचाने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग को रेखांकित करते हुए कहा कि यदि लोगों को उनकी मातृभाषा में प्रशिक्षण दिया गया, तो वह सीधे उनके दिमाग में चला जाता है, जबकि अन्य भाषा में प्रशिक्षण के लिए उन्हें वह भाषा पहले सीखनी पड़ती है.
उन्होंने कहा ही में तेलंगाना उच्चा न्यायालय द्वारा तेलुगु में दिये गये फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सभी तरह के सरकारी आदेश आदि भी हर राज्य की अपनी भाषा में जारी किये जाने चाहिए। हालाँकि उन्होंने हिन्दी के लिए दक्षिण भारतीय राज्यों द्वारा किये जा रहे विरोध को उन्होंने अनावश्यक बताया.
पूर्व उपराष्ट्रपति ने तमिलनाडू में मिले अनुभव को भी साझा किया
तमिलनाडू में मिले अपने एक अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें पूछा गया कि केंद्र सरकार द्वारा दक्षिण भारतीय राज्यों पर हिन्दी क्यों इम्पोज किया जा रहा है, तो उन्होंने कहा कि दियर इज नो इम्पोजिशन... नो अपोजिशन... दैट इज माई प्रोपोजिशन अर्थात हिन्दी के बारे में ना तो कई जबरदस्ती है.. और ना ही उसके लिए कोई विरोध है... यही मेरा निवेदन है.. .
इससे पहले दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ होने के बाद संस्थान की महानिदेशक डॉ. एस. ग्लोरी स्वरूपा ने उनका स्वागत किया. अपने संबोधन में उन्होंने संस्थान के बारे में जानकारी देने के साथ ही उन्हें इसके साठ वर्ष के सफर का संक्षिप्त ब्योरा दिया. इस अवसर पर विभिन्न गणमान्य अतिथि, उद्यमी, प्रशिक्षित विद्यार्थी तथा संस्थान के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे.