सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को टेलीकॉम कंपनियों को समायोजित सकल आय (AGR) से संबंधित बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय देने का फैसला किया। इसे टेलीकॉम कंपनियों के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है।
जस्टिस अरुण मिश्रा, एस अब्दुल नजीर और एमआर शाह की बेंच ने इस मसले पर फैसला देते हुए ये निर्देश भी दिए कि कंपनियां बकाया राशि का 10 प्रतिशत 31 मार्च, 2021 तक जमा करा दें। केंद्र सरकार ने 20 सालों की पेमेंट टाइमलाइन का सुझाव दिया था।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कंपनियों के बकाया एजीआर के लिए 10 साल में पेमेंट की टाइमलाइन की शुरुआत एक अप्रैल 2021 से होगी और किश्तों में इसका भुगतान 31 मार्च 2031 तक किया जाएगा। कंपनियों को हर साल 7 फरवरी तक अपना बकाया जमा करा देना होगा। वे अगर ऐसा नहीं कर पाती हैं तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को निर्देश दिया है कि वे चार सप्ताह के भीतर व्यक्तिगत गारंटी दें। सुनवाई के दौरान, टाटा टेलीकॉम ने अदालत को बताया कि देय राशि के भुगतान के लिए कम से कम 7-10 वर्षों की जरूरत होगी।
वहीं, वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल ने 15 वर्षों के दौरान भुगतान का सुझाव दिया था। दूरसंचार विभाग (DoT), हालांकि केंद्र के 20 साल के भीतर भुगतान के प्रस्ताव के साथ था।
गौरतलब है कि कुल एजीआर बकाया 1.69 लाख करोड़ रुपये का है। अभी तक 15 टेलीकॉम कंपनियों ने सिर्फ 30,254 करोड़ रुपये ही चुकाये हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्ट्रबर में अपने एक फैसले में दूरसंचार कंपनियों को गैर- दूरसंचार व्यवसाय से होने वाली आय को भी उनके राजस्व का हिस्सा मानने की सरकार की दलील को सही माना था।
इस सकल राजस्व के एक हिस्से को कंपनियों को लाइसेंस और स्पेक्ट्रम फीस के रूप में सरकार को देना होता है। वहीं, तब वोडाफोन आइडिया ने कहा था कि अगर उसे बेलआउट नहीं किया गया तो उसे भारत में अपना कामकाज बंद करना होगा।