वाशिंगटनः स्वतंत्र अमेरिकी पत्रकार और लेखक मैट टैबी (Matt Taibbi) ने ट्विटर फाइल्स की 17वीं किश्त जारी की है। इसमें मैट ने खुलासा किया है कि अटलांटिक काउंसिल का डिजिटल फॉरेंसिक रिसर्च लैब (DFRL) 40 हजार ट्विटर अकाउंट को सेंसर करवाना चाहता था। DFRL ने इन 40 हजार ट्विटर अकाउंट्स को हिंदू राष्ट्रवाद और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थन करने वाला बताते हुए कार्रवाई करने को कहा था। इसको लेकर DFRL ने ट्विटर को ईमेल किया था।
मैट टैबी ने अपने ट्विटर पर सिलसिलेवार ट्वीट के जरिए दावा किया कि साल 2021 में DFRL के प्रबंध संपादक एंडी गारविन ने 40 हजार ट्विटर खातों की सूची माइक्रो ब्लॉगिंग कंपनी को ईमेल की थी और यह आरोप लगाते हुए इन्हें शैडो बैन की मांग की थी ये भाजपा के कार्यकर्ता या पेड कर्मचारी हैं और हिंदू राष्ट्रवाद का समर्थन करते हैं। इनमें ना सिर्फ भारतीयों (कई भाजपा से जुड़े) के नाम हैं बल्कि कई आम अमेरिकी भी सूची में शामिल हैं।
मैट टैबी ने ट्विटर को भेजे ईमेल और ट्विटर खातों की सूची का स्क्रीन शॉट भी शेयर किया है। इसके साथ ही डॉक्स (DOCS) लिंक भी शेयर किया है। टैबी के मुताबिक, सूची में कुछ ऐसे अमेरिकियों के भी नाम थे, जिनमें से कई का भारत से कोई संबंध नहीं था और भारतीय राजनीति के बारे में उन्हें कुछ नहीं पता था। टैबी ने कई अमेरिकी के बयान को कोट्स भी किया है जिनका सूची में नाम था। हालांकि तत्कालीन ट्विटर सुरक्षा प्रमुख योएल रोथ ने इन खातों पर कार्रवाई करने से मना कर दिया और कहा कि हमने इसकी जांच की है, सभी खाते वास्तविक हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, खातों में अशोक गोयल, बेबी कुमारी भाजपा, कपिल मिश्रा, किशोर अजवानी, नवीन कुमार जिंदल, पीयूष गोयल ऑफिस, तजिंदर पाल सिंह बग्गा जैसे भाजपा कार्यकर्ता और राष्ट्रवादियों के नाम भी शामिल हैं। DFR Lab अमेरिकी विदेश विभाग की इकाई के रूप में सूचीबद्ध है, जिसका उद्देश्य दुष्प्रचार से निपटने के लिए Digital Sherlocks का नेटवर्क विकसित करना है।
लिंक्ड इन पर कंपनी ने अपनी जानकारी दी है जिसके मुताबिक, DFRLab का काम ओपन सोर्स रिसर्च का उपयोग करके गलत सूचना की पहचान करना, उसे उजागर करना और उसकी व्याख्या करना है। इसकी स्थापना साल 2016 में हुई थी। इसका मुख्यालय वाशिंगटन, डीसी, कोलंबिया जिला स्थापित है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, DFRLab को अमेरिकी सरकार और ग्लोबल एंगेजमेंट सेंटर (GEC) द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। GEC को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के अंतिम वर्षों में बनाया गया था।