#KuchhPositiveKarteHain: तीन छात्रों ने बनाया फर्जी ड्रग पहचाने वाला ऐप, माइक्रोसॉफ्ट ने भी दिए 10 लाख रुपये

By जोयिता भट्टाचार्या | Published: August 6, 2018 06:03 PM2018-08-06T18:03:54+5:302018-08-06T18:03:54+5:30

इन स्टूडेंट्स ने एक ऐसा ऐप बनाया है जो फर्जी दवाओं को पहचानने का काम करेगा। इन छात्रों के द्वारा बनाया गया यह ऐप दवाओं के पैकेजिंग की जानकारी से फर्जी दवाओं को पहचानेगा।

Indian Student make Drugsafe Mobile App Can Identify Fake Medicine | #KuchhPositiveKarteHain: तीन छात्रों ने बनाया फर्जी ड्रग पहचाने वाला ऐप, माइक्रोसॉफ्ट ने भी दिए 10 लाख रुपये

#KuchhPositiveKarteHain: तीन छात्रों ने बनाया फर्जी ड्रग पहचाने वाला ऐप, माइक्रोसॉफ्ट ने भी दिए 10 लाख रुपये

देश में कितने ही ऐसे लोग है जिन्हें मेडिकल और उनसे जुड़ी दवाइयों के बारें में नहीं पता है। ऐसे में कई बार लोग उन्हें बेवकूफ बना कर उन्हें गलत या फर्जी दवाइयां दे देते हैं। इसके चलते कई लोगों की जान भी चली जाती है। ऐसे में भारत के तीन होनहार छात्रों ने इससे निपटने का कारगर उपाय निकाला है। बेंगलुरू के आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग तीन स्टूडेंट ने इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट का स्पेशल अवॉर्ड जीता है।

माइक्रोसॉफ्ट ने इन छात्रों को यह अवार्ड एक ऐप के लिए दिया है। इन स्टूडेंट्स ने एक ऐसा ऐप बनाया है जो फर्जी दवाओं को पहचानने का काम करेगा। इन छात्रों के द्वारा बनाया गया यह ऐप दवाओं के पैकेजिंग की जानकारी से फर्जी दवाओं को पहचानेगा। इन छात्रों को इस ऐप को बनाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट ने 10 लाख का पुरस्कार दिया है।

क्या है ऐप का नाम?

माइक्रोसॉफ्ट के मुख्यालय में हुई सालाना माइक्रोसॉफ्ट इमेजिन कप वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान भारतीय स्टूडेंट्स को यह विशेष पुरस्कार दिया गया है। इन छात्रों को यह पुरस्कार बिग डाटा कैटेगरी में मिला है। इन स्टूडेंट्स ने जो ऐप बनाया है उसका नाम DrugSafe है।

माइक्रोसॉफ्ट ने इन स्टूडेंट्स को इस ऐप के लिए करीब 10 लाख रुपये का पुरस्कार दिया है। चिदरुप आई, प्रतीक महापात्रा और श्रीहरि एचएस नाम के ये तीन स्टूडेंट्स ने यह नायाब काम कर के दिखाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन तीन स्टूडेंट्स का एक दोस्त फर्जी दवाओं को खाकर बीमार हो गया था। इस घटना के बाद इन छात्रों को पता चला कि भारत में बिकने वाली सभी दवाओं में से करीब आधी फर्जी होती हैं। इसके बाद इन तीन छात्रों ने फर्जी दवाओं की पहचान करने के लिए ऐप के निर्माण का फैसला किया।

ऐसे काम करता है यह ऐप

DrugSafe ऐप तीन स्तरों पर नकली दवाओं की पहचान करता है। यह दवाओं के डिजाइन और पैकेजिंग की जानकारी लेकर असली मैन्युफैक्चरर के पेटेंट और ट्रेडमार्क से उनकी तुलना करता है और दवा के असली और नकली होने के बारे में जानकारी देता है। ऐप में ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिसके जरिए आम जनता नकली दवाइयों का पता लगा सकते हैं।

 

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Web Title: Indian Student make Drugsafe Mobile App Can Identify Fake Medicine

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