गणेश पूजा में क्यों नहीं चढ़ाते तुलसी? इसके पीछे है एक मिथकीय कथा

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: January 16, 2018 16:23 IST2018-01-16T16:19:53+5:302018-01-16T16:23:15+5:30

जीवन और मोक्ष देने वाली तुलसी की पत्तियों को गणेश पूजन में वर्जित माना जाता है।

why tulsi is not offered to lord ganesha mythological story | गणेश पूजा में क्यों नहीं चढ़ाते तुलसी? इसके पीछे है एक मिथकीय कथा

गणेश पूजा में क्यों नहीं चढ़ाते तुलसी? इसके पीछे है एक मिथकीय कथा

हिन्दू धर्म में पूजा के दौरान सही सामग्री और विधि का पालन किया जाना आवश्यक माना गया है। किस देवी-देवता की पूजा में कैसी सामग्री भेंट की जाएगी, किन मंत्रो-पाठ का जाप होगा लेकिन साथ ही किन वस्तुओं का होना वर्जित है, ऐसी तमाम जानकारी हिन्दू शास्त्रों में दर्ज है। इसी में से एक प्रचलित तथ्य गणेश पूजन से जुड़ा है जिसके मुताबिक विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा में 'तुलसी' का प्रयोग नहीं किया जाता है, लेकिन क्यों? 

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान गणेश को श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है। श्रीकृष्ण स्वयं भगवान विष्णु के ही मानवरूपी अवतार माने जाते हैं। श्रीविष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है, हिन्दू धर्म के प्रचलित त्यौहार तुलसी विवाह में शालिग्राम बने विष्णु का तुलसी देवी से विवाह कराया जाता है। तो फिर ऐसा क्या कारण है कि विष्णु के ही अवतार माने जाने वाले गणेश जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित है? 

इसके पीछे एक पौराणिक कहानी प्रचलित है, जिसके अनुसार एक बार भगवान गणेश गंगा तट पर समाधि में लीन थे। तभी देवी तुलसी जो कि विवाह की इच्छा से सभी तीर्थ स्थलों का भ्रमण कर रहीं थीं, वह भी वहां आ गईं। 

भगवान गणेश उस समय समाधी में लीन थे। कहते हैं कि इस समय गणेश जी के पूरे शरीर पर चन्दन लगा हुआ था। गले में पारिजात के पुष्पों की माला और स्वर्ण-रत्नों से बने हार भी थे। इस रूप में गणेश जी सोने के सामान चमक रहे थे। 

उनका यह रूप देख देवी तुलसी उनकी ओर मोहित हो गई और विवाह प्रस्ताव रखने के लिए उन्होंने गणेश जी के तप को भंग करने का प्रयास किया। तपस्या खण्डित होने को गणेश जी ने अशुभ बताया और देवी से कहा कि वे ब्रह्मचारी हैं इसलिए उन दोनों का विवाह नहीं हो सकता है। 

प्रस्ताव ठुकराए जाने पर देवी ने क्रोधित अवस्था में गणेश जी के दो विवाह होने का श्राप दे दिया। इस पर गणेश जी ने भी देवी का एक असुर से विवाह होगा, ऐसा श्राप दे दिया। श्राप सुनते ही देवी घबरा गई और गणेश जी से माफी मांगने लगी। 

तब गणेश जी ने उन्हें बताया कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण राक्षस से होगा। किन्तु भगवान विष्णु और कृष्ण को प्रिय होने के कारण तुम सारे जगत में जानी जाओगी। तुम्हारी पूजा की जाएगी और तुम्हे जीवन और मोक्ष देने वाली माना जाएगा। लेकिन मेरी पूजा में तुम्हारा उपयोग वर्जित माना जाएगा। इसी कहानी को आधार मानते हुए गणेश पूजा में तुलसी की पत्तियों का प्रयोग वर्जित माना जाता है। 

Web Title: why tulsi is not offered to lord ganesha mythological story

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