Vishu 2020: जब रावण ने सूर्य देव के पूर्व से निकलने पर लगा दी थी रोक, जानिए दक्षिण भारत के नववर्ष 'विषु' की पौराणिक कथा

By मेघना वर्मा | Updated: April 13, 2020 12:06 IST2020-04-13T08:49:05+5:302020-04-13T12:06:39+5:30

सूर्य के राशि चक्र में बदलाव को केरल में विषु नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। ये सिर्फ केरल ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण भारत का प्रसिद्ध त्योहार है।

vishu 2020,vishu kani parva,dates, significance and rituals of this festivals | Vishu 2020: जब रावण ने सूर्य देव के पूर्व से निकलने पर लगा दी थी रोक, जानिए दक्षिण भारत के नववर्ष 'विषु' की पौराणिक कथा

Vishu 2020: जब रावण ने सूर्य देव के पूर्व से निकलने पर लगा दी थी रोक, जानिए दक्षिण भारत के नववर्ष 'विषु' की पौराणिक कथा

Highlightsकथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण  ने नरकासुर का वध भी इसी दिन किया था।मान्यता है इस दिन पूजा-पाठ करने से पूरे साल सुख-समृद्धि बनी रहती है। 

भारत देश विविधताओं का देश है। यहां हर जाति और धर्म के लोगों की अपनी अलग-अलग मान्यताएं हैं। एक ही त्योहार को देश में कई अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। जिसकी अलग-अलग मान्यताएं होती हैं। 13 अप्रैल को जहां पंजाब में आज के दिन बैसाखी का पर्व मनाया जा रहा है तो वहीं असम में इस दिन को बिहू के रूप में मनाते हैं। दक्षिण भारत की बात करें तो वहां विषु पर्व मनाया जाता है।

सूर्य अपने राशि में परिवर्तन कर रहा है। जबकि 14 अप्रैल को वो अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। वहीं इस राशि चक्र में बदलाव को केरल में नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। ये सिर्फ केरल ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण भारत का प्रसिद्ध त्योहार है। जिसे 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस नये वर्ष का इतिहास भगवान विष्णु और रावण से जुड़ा हुआ है। 

जब श्रीकृष्ण ने किया था नरकासुर का वध

माना जाता है कि जब सूर्य अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं तब उनका सीधा प्रकाश श्रीहरि पर पड़ता है। इसी खगोलीय परिवर्तन के चलते केरल राज्य में लोग इस दिन को नए वर्ष के रूप में मनाते हैं। वहीं दूसरी कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण  ने नरकासुर का वध भी इसी दिन किया था। इसलिए भी भगवान विष्णु और उनके अवतार कन्हैया की पूजा आज के दिन की जाती है। 

जब रावण ने सूर्य देव पर लगा थी रोक

एक दूसरी लोककथा के अनुसार बताया जाता है कि विषु पर्व सूर्य देवता की वापसी का पर्व है। माना जाता है कि एक बार रावण ने सूर्य देव को पूर्व से निकलने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद जब रावण की मृत्यु हुई उसी दिन सूर्य देवता पूर्व दिशा में निकलने लगे। तब से ही विषु पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई।

विषु कानी की परंपरा

विषु पर्व पर अपने-अपने घरों में लोग कृष्ण मूर्ति के सामने सोने के आभूषण, नये कपड़े, दर्पण, कटहल, खीरा, संतरा, अंगूर, रमायण या भगवद्गगीता रात में 12 बजे रखकर सोते हैं। सुबह उठते ही सर्वप्रथम दर्शन इन्हीं के होते हैं। इस प्रथा को विषु कानी कहते हैं। मान्यता है ऐसा करने से पूरे साल सुख-समृद्धि बनी रहती है। 

English summary :
In Punjab, the festival of Baisakhi is being celebrated on this day, while in Assam, this day is celebrated as Bihu. And in South India this day is celebrate as Vishu festival.


Web Title: vishu 2020,vishu kani parva,dates, significance and rituals of this festivals

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