Vat Savitri Vrat 2022: वट सावित्री व्रत पर बन रहा है विशेष संयोग, इस शुभ मुहूर्त में मिलेगा व्रत लाभ, जानें व्रत विधि और महत्व

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 28, 2022 02:42 PM2022-05-28T14:42:05+5:302022-05-28T14:42:05+5:30

इस व्रत का पौराणिक महत्व ये है कि इस दिन माता सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा की बदौलत ही यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे।

Vat Savitri Vrat 2022 date shubh muhurat vrat vidhi and importance | Vat Savitri Vrat 2022: वट सावित्री व्रत पर बन रहा है विशेष संयोग, इस शुभ मुहूर्त में मिलेगा व्रत लाभ, जानें व्रत विधि और महत्व

Vat Savitri Vrat 2022: वट सावित्री व्रत पर बन रहा है विशेष संयोग, इस शुभ मुहूर्त में मिलेगा व्रत लाभ, जानें व्रत विधि और महत्व

Vat Savitri Vrat 2022: वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर रखा जाता है। इस साल 30 मई, सोमवार को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं बरगद क पेड़ की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापस ले आई थीं। इसलिए वट सावित्री व्रत वाले दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है। 

इस बार बन रहा है खास संयोग

हिंदू पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत के दिन इस वार विशेष संयोग बन रहा है। दरअसल, ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत के अलावा शनि जयंती भी मनाई जाती है। किंतु इस बार सोमवार को यह दिन पड़ रहा है। यानी वट सावित्री के दिन शनि जयंती के अलावा सोमवती अमावस्या पड़ रही है। ज्योतिषीय गणना की माने तो ऐसा संयोग 30 साल बाद बन रहा है। इसके साथ सोमवती अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग व सुकर्मा योग भी बन रहा है। 

वट सावित्री व्रत पूजा मुहूर्त 

अमावस्या तिथि प्रारम्भ – मई 29, 2022 को दोपहर 02 बजकर 55 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त – मई 30, 2022 को शाम 04 बजकर 59 मिनट पर

वट सावित्री व्रत विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद सोलह शृंगार करें। अब सभी पूजन सामग्रियों को इकट्ठा कर किसी बांस से बनी टोकरी या पीतल के पात्र में रख लें। फिर पहले घर में पूजा करें, सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं। अब वट वृक्ष को जल अर्पित करें। फिर देवी सावित्री को वस्त्र व सोलह श्रृंगार अर्पित करें। फल-फूल अर्पित करने के बाद वट वृक्ष को पंखा झेलें। रोली से पेड़ की परिक्रमा करें और फिर सावित्री-सत्यवान की पुण्य कथा ध्यानपूर्वक सुनें। इसके बाद दिन भर व्रत रखें।

वट सावित्री व्रत का महत्व

विवाहित महिलाओं के द्वारा अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए यह व्रत किया जाता है। इस व्रत का पौराणिक महत्व ये है कि इस दिन माता सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा की बदौलत ही यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे। सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे ही तपस्या की थी, इसलिए इस व्रत का नाम वट सावित्री पड़ा। हिंदू धार्मिक शास्त्रों में बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास होता है।

Web Title: Vat Savitri Vrat 2022 date shubh muhurat vrat vidhi and importance

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