लाइव न्यूज़ :

उत्पन्ना एकादशी व्रत 20 नवंबर को, इस दिन बन रहे हैं ये 5 शुभ योग, ऐसे पाएं लाभ

By रुस्तम राणा | Updated: November 19, 2022 14:15 IST

इस बार उत्पन्ना एकादशी के दिन पांच शुभ योग बन रहे हैं। जिसमें प्रीति योग, आयुष्मान योग, द्विपुष्कर योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग शामिल हैं।

Open in App

Utpanna Ekadashi 2022: शास्त्रों में मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी व्रत कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी व्रत देवी के स्मरण का दिन माना जाता है। इसी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी से देवी उत्पन्न हुई थीं। इस बार यह तिथि 20 नवंबर को पड़ रही है। धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति यह व्रत करता है उस पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी की विशेष कृपा बरसती है। जातक को धन-धान्य, संतान सुख, सौभाग्य आदि प्राप्त होता है। इस बार उत्पन्ना एकादशी के दिन पांच शुभ योग बन रहे हैं। जिसमें प्रीति योग, आयुष्मान योग, द्विपुष्कर योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग शामिल हैं।

उत्पन्ना एकादशी मुहूर्त 2022

एकादशी तिथि प्रारंभ- 19 नवंबर को सुबह 10:29 से एकादशी तिथि समाप्त- 20 नवंबर को सुबह 10:41 बजे तक रहेगी। 

उत्पन्ना एकादशी के दिन पांच शुभ योग

प्रीति योग - प्रात:काल से लेकर रात 11 बजकर 04 मिनट तक।आयुष्मान योग - रात 11 बजकर 04 मिनट से अगले दिन रात 09 बजकर 07 मिनट तक।सर्वार्थ सिद्धि योग - सुबह 06 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर देर रात 12 बजकर 36 मिनट तक।अमृत सिद्धि योग- सुबह 06 बजकर 47 मिनट से देर रात 12 बजकर 36 मिनट तक।द्विपुष्कर योग- देर रात 12 बजकर 36 मिनट से से शुरू होकर सुबह 06 बजकर 48 मिनट तक।

उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प करें। भगवान विष्णु जी के समक्ष दीप प्रज्जवलित करें। गंगा जल से अभिषेक करें। विष्णु जी को तुलसी चढ़ाएं। जगत के पालनहार को सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। शाम को तुलसी के समक्ष दीप जलाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। अगले दिन द्वादशी के दिन शुभ मुहूर्त पर व्रत खोलें। ब्राह्मणों को भोजन कराकर, उन्हें दान-दक्षिणा दें।

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार मुर नामक राक्षस के आतंक से तीनों लोकों में भय फैल गया। मुर की शक्तियों के कारण देवता डर गए और निदान के लिए भगवान विष्णु से संपर्क किया। विष्णुजी ने सैकड़ों वर्षों तक मूर से युद्ध किया। मगर उसे हरा नहीं सके। इस बीच थकान की वजह से भगवान थोड़ा आराम करना चाहते थे, इसलिए वे हिमावती गुफा में जाकर सो गए। इसी समय दानव मुर ने गुफा के अंदर ही विष्णुजी को मारने की कोशिश की। तभी वहां एक खूबसूरत महिला दिखाई दीं, जिन्होंने लंबी लड़ाई के बाद राक्षस मूर को मार डाला। भगवान विष्णु जागे तो राक्षस के मृत शरीर को देख कर चौंक गए, चूंकि वह महिला विष्णुजी से उत्पन्न हुई थीं तो उन्होंने उन्हें एकादशी नाम दिया। तब से यह दिन उत्पन्ना एकादशी के रूप में मनाया जाता है। 

टॅग्स :एकादशीभगवान विष्णु
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

भारतCJI गवई ने कड़ी आलोचना के बाद 'भगवान विष्णु से पूछो' वाले बयान पर सफाई दी, कहा 'मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं'

पूजा पाठJanmashtami 2025: 15 या 16 अगस्त को, कब है जन्माष्टमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा का समय और सबकुछ

पूजा पाठKamika Ekadashi 2025: कामिका एकादशी व्रत 20 या 21 जुलाई को, जानें सही तिथि, पूजा विधि और धार्मिक महत्व

पूजा पाठChaturmas 2025: कब से शुरू हो रहा है चतुर्मास 2025, जानें महत्व और क्या करें क्या नहीं

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार