Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी व्रत आज, भगवान विष्णु जी इस विधि से करें प्रसन्न, जानें पूजा नियम और महत्व
By रुस्तम राणा | Published: January 18, 2023 07:21 AM2023-01-18T07:21:45+5:302023-01-18T07:21:45+5:30
षटतिला एकादशी व्रत में तिल का उपयोग करना उत्तम फलदाई माना जाता है। इस दिन तिल का दान, स्वर्ण दान के बराबर होता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने वाले को धनधान्य, तेज, सौन्दर्य प्राप्त होता है।
Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी, इस बार 18 जनवरी मंगलवार को है। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। इस एकादशी को सब पापों का हरण करने वाली माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की तिल चढ़ाते हैं और तिल से बनी खिचड़ी का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
षटतिला एकादशी व्रत में तिल का उपयोग करना उत्तम फलदाई माना जाता है। इस दिन तिल का दान, स्वर्ण दान के बराबर होता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने वाले को धनधान्य, तेज, सौन्दर्य प्राप्त होता है। आइए जानते हैं एकादशी व्रत का पूजा मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व।
षटतिला एकादशी तिथि 2023
एकादशी प्रारंभ - 17 जनवरी, मंगलवार, सायं 06:05 मिनट से
एकादशी समाप्त - 18 जनवरी, बुधवार, सायं 04:03 मिनट तक
षटतिला एकादशी व्रत-पूजा विधि
एकादशी की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
भगवान विष्णु का ध्यान करें व्रत का संकल्प लें।
पूजा में गंगा जल, तुलसी, चने दाल, गुड़, तिल, फूल आदि सभी सात्विक चीजों का उपयोग करें।
ये सभी चीजें भगवान नारायण को अर्पित करें।
संध्या काल में दीपदान और दान-दक्षिणा भी करें।
अगले दिन सुबह पारण मुहूर्त में व्रत खोलें।
षटतिला एकादशी करें ये काम
षटतिला एकादशी के दिन पुष्य नक्षत्र में गोबर, कपास, तिल मिलाकर उपले बनाएं और हवन करें।
एकादशी के दिन रात्रि जागरण कर भगवान का भजन और ध्यान करें।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु को मिठाई, नारियल, और सुपारी सहित अर्घ्य देकर स्तुति करें।
अगले दिन धूप, दीप नैवेद्य से भगवान विष्णु की पूजा कर खिचड़ी का भोग लगाएं।
षटतिला एकादशी का महत्व
हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। एकादशी व्रत रखने से घर में सुख-शांति आती है। जातक के सारे दुख समाप्त होते हैं। कहा जा रहा है कि एकादशी का व्रत करने से हजारों सालों की तपस्या जितना पुण्य प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार, षटतिला एकादशी व्रत करने वाले जातकों को कन्यादान और हजारों वर्षों की तपस्या करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन दिल का दान करने से पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।