Rang Panchami 2020: रंग पंचमी पर देवता कल खेलेंगे होली, जानिए क्यों होता है ये दिन खास और कैसे मनाया जाता है
By विनीत कुमार | Published: March 12, 2020 09:04 AM2020-03-12T09:04:55+5:302020-03-13T11:53:07+5:30
Rang Panchami 2020: रंग पंचमी के साथ ही होली के उत्सव का भी समापन होता है। कई स्थानों में पर इसे श्री पंचमी भी कहा जाता है।
Rang Panchami 2020: रंग पंचमी का त्योहार हिंदी कैलेंडर के अनुसार हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। होली के पांचवें दिन आने वाले इस त्योहार का महत्व बहुत विशेष है।
इस बार रंग पंचमी 13 मार्च (शुक्रवार) को मनाई जा रही है। इस त्योहार के साथ ही होली के उत्सव का भी समापन होता है। कई स्थानों में पर इसे श्री पंचमी भी कहा जाता है। आमतौर पर ये त्योहार मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन देवती अपनी होली मनाते हैं।
Rang Panchami 2020: रंग पंचमी पर देवता खेलते हैं होली
मान्यता है कि रंग पंचमी के दिन जो भी रंग इस्तेमाल होते हैं या उन्हें हवा में उड़ाया जाता है उससे देवता आकर्षित होते हैं। इससे ब्रह्मांड में सकारात्मक तंरगों का संयोग बनता है। पुराणों में ऐसे वर्णन मिलते हैं कि इस दिन देवता गीले रंगों की होली खेलते हैं और एक-दूसरे को रंगों से भिगोते हैं।
ऐसी भी मान्यता है कि रंग और गुलाल से वातावरण में ऐसा माहौल बन जाता है जिससे तमोगुण और रजोगुण का नाश हो जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा की विशेष परंपरा कई जगहों पर है। रंग पंचमी को पंचतत्वों को सक्रिय करने के त्योहार के तौर पर देखा जाता है। इन तत्वों में हवा, आकाश, पृथ्वी, जल और अग्नि शामिल हैं।
Rang Panchami 2020: कैसे मनाते हैं रंग पंचमी का त्योहार
होली का त्योहार चैत्र मास की कृष्ण प्रतिपदा से पंचमी तक चलता है। इसलिये इसे रंग पंचमी कहा जाता है। महाराष्ट्र में तो होली को ही रंग पंचमी कहा जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन का खास महत्व है। महाराष्ट्र के घरों में इस दिन पारंपरिक व्यंजन पूरनपोली बनाया जाता है।
कुछ जगहों पर दाही हांडी के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। मछुआरा समाज में भी इस दिन लोग रंग खेलते हैं और नाचते-गाते हैं। मध्य प्रदेश में भी इस मौके पर कई जगहों पर जुलूस निकाले जाते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। लोग एक-दूसरे पर रंग और सुगंध से मिला हुआ जल फेंकते हैं।
ऐसे ही राजस्थान में और खासकर जैसलमेर के महल और मंदिरों में इस अवसर पर खास कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। लोग यहां होली की ही तरह रंगों से खेलते हैं। जयपुर में भी कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं।