Ram Mandir: श्री रामचरितमानस बालकाण्ड सोरठा से करें भगवान राम की स्तुति, हिन्दी अर्थ भी जानें
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: January 19, 2024 04:48 PM2024-01-19T16:48:48+5:302024-01-19T16:49:14+5:30
अयोध्या में राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह 22 जनवरी को है। यहां हम आपके लिए श्री रामचरित मानस से बालकाण्ड सोरठा लेकर आए हैं। इसके जाप से भगवान राम की स्तुति की जा सकती है।
Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह 22 जनवरी को है। इसके लिए तैयारियां चरम पर हैं। प्राण प्रतिष्ठा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में होगी। इस भव्य कार्यक्रम को लेकर लोगों में भी उत्साह देखा जा रहा है। यहां हम आपके लिए श्री रामचरित मानस से बालकाण्ड सोरठा लेकर आए हैं। इसके जाप से भगवान राम की स्तुति की जा सकती है।
1- जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन।
करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥
हिन्दी अर्थ - जिन्हें स्मरण करने से सब कार्य सिद्ध होते हैं, जो गणों के स्वामी और सुंदर हाथी के मुख वाले हैं, वे ही बुद्धि के राशि और शुभ गुणों के धाम (श्री गणेशजी) मुझ पर कृपा करें।
2- मूक होइ बाचाल पंगु चढ़इ गिरिबर गहन।
जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलिमल दहन॥
हिन्दी अर्थ - जिनकी कृपा से गूँगा बहुत सुंदर बोलने वाला हो जाता है और लँगड़ा-लूला दुर्गम पहाड़ पर चढ़ जाता है, वे कलियुग के सब पापों को जला डालने वाले दयालु (भगवान) मुझ पर द्रवित हों (दया करें)
3- नील सरोरुह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन।
करउ सो मम उर धाम सदा छीरसागर सयन॥
हिन्दी अर्थ - जो नीलकमल के समान श्यामवर्ण हैं, पूर्ण खिले हुए लाल कमल के समान जिनके नेत्र हैं और जो सदा क्षीरसागर पर शयन करते हैं, वे भगवान् (नारायण) मेरे हृदय में निवास करें।
4- कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन।
जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन॥
हिन्दी अर्थ - जिनका कुंद के पुष्प और चन्द्रमा के समान (गौर) शरीर है, जो पार्वतीजी के प्रियतम और दया के धाम हैं और जिनका दीनों पर स्नेह है, वे कामदेव का मर्दन करने वाले (शंकरजी) मुझ पर कृपा करें।
5- बंदउँ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।
महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर॥
हिन्दी अर्थ - मैं उन गुरु महाराज के चरणकमल की वंदना करता हूँ, जो कृपा के समुद्र और नर रूप में श्री हरि ही हैं और जिनके वचन महामोह रूपी घने अन्धकार का नाश करने के लिए सूर्य किरणों के समूह हैं।