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Radha Ashtami 2019: आज राधाष्टमी और दुर्वाष्टमी का व्रत, जानें पूजा विधि, समय और महत्व

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 6, 2019 06:59 IST

Radha Ashtami 2019: मान्यता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा का जन्म हुआ था। इस मौके पर विशेष आयोजन मथुरा के बरसाना, नंदगांव और रावल में देखने को मिलता है।

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ठळक मुद्देRadha Ashtami 2019: राधाष्टमी का व्रत इस बार 6 सितंबर कोराधा जी के जन्मोत्सव के तौर पर किया जाता है राधाष्टमी का व्रत

Radha Ashtami 2019: राधाष्टमी का व्रत आज है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण के जन्म के 15वें दिन श्री राधारानी जी का जन्म हुआ था। इसलिए हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी व्रत किया जाता है। इस दिन व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और संतान सुख की प्राप्त होता है। इस दिन महिलाएं व्रत इसलिए भी रखती हैं, ताकि उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त हो सके। 

इस मौके पर विशेष आयोजन मथुरा के बरसाना में देखने को मिलता है। भक्तों की भारी भीड़ इस मौके पर यहां उमड़ती है। बरसाना के लाड़िली जी मंदिर सहित अन्य सभी मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। बरसाना, नन्दगांव तथा रावल में राधा जन्मोत्सव की धूम सबसे ज्यादा रहती है। एक मान्यता के अनुसार रावल को राधारानी का मूल जन्मस्थान माना जाता है। 

Radha Ashtmi 2019: व्रत करने की विधि

बृहन्नारदीय पुराण, 'अध्याय 117' के अनुसार स्नानादि के बाद मंडप के भीतर मंडल बनाकर उसके मध्यमवर्ग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें। उसके ऊपर तांबे का पात्र रखें। उस पात्र के ऊपर दो वस्त्रों से ढकी हुई श्रीराधा की सुवर्णमयी सुंदर प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद वाद्यसंयुक्त षोडशोपचार द्वारा पूरे स्नेह हृदय से पूजा करें। मान्यता है कि पूजा मध्याह्न में ही करना चाहिए। इस दिन साधक को उपवास करना चाहिए। अगर उपवास संभव नहीं हो तो एकभुक्त व्रत करें। व्रत के दूसरे दिन सुवासिनी स्त्रियों को भोजन कराये और अपने आचार्य को राधाजी की प्रतिमा दान करें। इसके बाद ही स्वयं भोजन कर व्रत को समाप्त करें।

Radha Ashtmi 2019: आज दुर्वाष्टमी भी

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दुर्वाष्टमी भी मनाई जाती है। इस दिन उमा सहित शिव का पूजन करें। भगवान शिव और देवी उमा को सात प्रकार के फल, पुष्प, दूर्वा और नैवेद्य अर्पण कर व्रत करें। ऐसा करने से कष्ट दूर होते हैं और धन था पुत्र की प्राप्ति होती है।

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