Purushottam Ekadashi: 3 साल में आती है पुरुषोत्तमी एकादशी, जानें महत्व और शुभ मुहूर्त

By गुणातीत ओझा | Published: September 27, 2020 12:50 PM2020-09-27T12:50:07+5:302020-09-27T12:50:07+5:30

प्रत्येक तीसरे वर्ष पुरुषोत्तम मास में पड़ने वाली पुरुषोत्तमा एकादशी आज रविवार 27 सितंबर को है। जिसे कमला एकादशी भी कहते हैं। पुरुषोत्तम महीने के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पुरुषोत्तमी एकादशी कहते हैं।

Purushottami Ekadashi 2020: Purushottami Ekadashi comes in 3 years know the importance and auspicious time | Purushottam Ekadashi: 3 साल में आती है पुरुषोत्तमी एकादशी, जानें महत्व और शुभ मुहूर्त

purushottam ekadashi 2020

Highlightsप्रत्येक तीसरे वर्ष पुरुषोत्तम मास में पड़ने वाली पुरुषोत्तमा एकादशी आज रविवार 27 सितंबर को है।पुरुषोत्तम महीने के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पुरुषोत्तमी एकादशी कहते हैं।

प्रत्येक तीसरे वर्ष पुरुषोत्तम मास में पड़ने वाली पुरुषोत्तमा एकादशी 27 सितंबर, रविवार को है। जिसे कमला एकादशी भी कहते हैं। पुरुषोत्तम महीने के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पुरुषोत्तमी एकादशी कहते हैं। ये नाम पद्मपुराण में बताया गया है। वहीं, महाभारत में इसे सुमद्रा एकादशी कहा गया है। इसके अलावा आमतौर पर इसे पद्मिनी एकादशी भी कहा गया है। इस तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तम तिथियों में से एक कहा है जिसका व्रत करने से श्रीमहालक्ष्मी जी की अनुकूल कृपा प्राप्त होती है। इस दिन घर में जप करने का एक गुना, गौशाला में जप करने पर सौ गुना, पुण्य क्षेत्र तथा तीर्थ में हजारों गुना, तुलसी के समीप जप-तथा जनार्दन की पूजा करने से लाखों गुना, शिव तथा विष्णु के क्षेत्रों में करने से करोड़ों गुना फल प्राप्त होता है।

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि 3 साल में आने वाली ये एकादशी बहुत ही खास होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत-उपवास करने से ही हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इस व्रत से सालभर की एकादशियों का पुण्य मिल जाता है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक पुरुषोत्तमी एकादशी व्रत अधिक मास में आता है। भगवान विष्णु के महीने में होने से ये व्रत और भी खास हो जाता है। इस एकादशी के बारे में सबसे पहले ब्रह्मा जी ने नारद जी को बताया था फिर श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को इसका महत्व बताया। इस दिन राधा-कृष्ण और शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत में दान का खास महत्त्व है। इस दिन मसूर की दाल, चना, शहद, पत्तेदार सब्जियां और पराया अन्न नहीं खाना चाहिए। इस दिन नमक का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए और कांसे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए। वहीं, पूरे दिन कंदमूल या फल खाए जा सकते हैं।

एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ- 26 सितंबर को शाम 07 बजे
एकादशी तिथि समाप्त- 27 सितंबर को शाम 07:47 बजे
एकादशी पारण मुहूर्त- 28 सितंबर 06:10 से 08:26 तक

एकादशी का महत्व
मलमास भगवान बिष्णु का प्रिय माह है। इस माह में पुरुषोत्तम एकादशी का व्रत करने से स्वर्ण दान और हजारों यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है साथ ही मृत्यु के बाद मोक्षी की भी प्राप्ति होती है। साथ ही यह व्रत मनोरथ पूर्ति के लिए भी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि जो भी भक्त भगवान बिष्णु की असीम कृपा प्राप्त करना चाहते हैंए उनको पुरुषोत्तम एकादशी उपवास करना चाहिए।

व्रत की विधि
एकदाशी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु का ध्यान व प्रार्थना करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सबसे पहले भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को पीला कपड़ा बिछाकर स्थापित करें और उन पर गंगाजल के छीटें दें और रोल-अक्षत का तिलक लगाएं और सफेद फूल चढ़ाएं। इस दिन सफेद फूल चढ़ाने का विशेष महत्व माना जाता है। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं और तुलसी का पत्ता भी अर्पित करें। इसके बाद भगवान के स्तोत्र और मंत्रों का जप करें और विष्णु चालिसा का पाठ करें। फिर देसी घी का दीपक जलाकर जाने-अनजाने हुए पापों की क्षमायाचना करें और फिर उनकी आरती उतारें। गरीब व जरूरतमंद लोगों को दान दें और शाम के समय भी पूजा-पाठ करें। रात में भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें और द्वादशी तिथि को स्नान करने के बाद भगवान को स्मरण करें और गरीबों को भोजन करवाकर दक्षिणा समेत विदा करें।

यज्ञ, तप या दान नहीं
ग्रंथों में इस व्रत को सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण बताया गया है। ब्रह्मांड पुराण में कहा गया है कि मलमास की एकादशी पर उपवास और भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ ही नियम और संयम से रहने पर भगवान विष्णु खुश होते हैं। अन्य पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत से बढ़कर कोई यज्ञ, तप या दान नहीं है। इस एकादशी का व्रत करने वाले इंसान को सभी तीर्थों और यज्ञों का फल मिल जाता है। जो इंसान इस एकादशी पर भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की पूजा और व्रत करता है। उसके जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। ऐसा इंसान हर तरह के सुख भोगकर भगवान विष्णु के धाम को प्राप्त करता है।

एकादशी की कथा
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार त्रेतायुग में महिष्मती पुरी के कार्तवीर्य नामक राजा राज्य करते थे। राजा कार्तवीर्य बहुत पराक्रम थे और उनकी एक हजार पत्नी थीं लेकिन कोई संतान नहीं थी। उनको चिंता सताने लगी की मेरे बाद इस राज्य को कौन संभालेगा। इस बात को लेकर राजा.रानी काफी परेशान रहते थे। उन्होंने कई कठोर तप और धर्म-कर्म के कार्य किए लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। एक दिन रानी देवी अनुसुया से इसका उपाय पूछा। तब देवी अनुसूया ने मलमास में पड़ने वाली पुरुषोत्तम एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। देवी ने बताया कि मलमास भगवान विष्णु का प्रिय माह और इस माह में पड़ने वाली पद्मिनी एकदाशी का व्रत करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। राजा और सभी रानियों ने इस व्रत को किया। एकादशी पारण विधि करते समय भगवान प्रकट हुए राजा से वरदान मांगने के लिए तब राजा ने सर्वगुण संपन्न और अपारिज पुत्र की कामना की। भगवान ने यह वरदान राजा को दे दिया। कुछ समय बाद राजा की एक पत्नी को पुत्र का जन्म हुआए जिसका नाम कार्तवीर्य ने अर्जुन रखा। बताया जाता है कि पूरे संसार में इस उनके जितना कोई बलवान नहीं था। यह बालक आगे चलकर सहस्त्रबाहु कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से जाना गया। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठर को इस एकादशी के महत्ता बताते हुए कहा कि मलमास में पड़ने के कारण यह एकदाशी सबसे ज्यादा पवित्र और फलदायी होती है।

Web Title: Purushottami Ekadashi 2020: Purushottami Ekadashi comes in 3 years know the importance and auspicious time

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