Pausha Putrada Ekadashi 2022: पौष पुत्रदा एकादशी आज, जानें व्रत कथा, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 13, 2022 01:58 PM2022-01-13T13:58:24+5:302022-01-13T14:14:42+5:30
Pausha Putrada Ekadashi 2022: पौष पुत्रदा एकादशी को वैकुण्ठ एकादशी और मुक्कोटी एकादशी भी कहा जाता है। ये व्रत संतान की प्राप्ति के लिए मुख्य तौर पर किया जाता है।
Pausha Putrada Ekadashi 2022: आज पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाने वाला इस व्रत का हिंदू मान्यताओं में काफी महत्व है। वैकुण्ठ एकादशी और मुक्कोटी एकादशी भी कहते हैं। इसमें भगवान विष्णु की पूजा का महत्व विशेष है। मान्यता है कि पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशी व्रत आते हैं। माह और दिन के अनुसार इनके महत्व भी अलग-अलग हैं। शास्त्रों के अनुसार जो लोग संतान की इच्छा रखते हैं, उन्हें पौष पुत्रदा एकादशी जरूर करनी चाहिए। जिनके पास संतान हैं, वे भी इस व्रत को करते हैं तो उनके संतान से संबंधित सभी कष्ट दूर होते हैं।
Pausha Putrada Ekadashi: पौष पुत्रदा एकादशी पूजा विधि
पौष पुत्रदा एकादशी पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करना चाहिए साफ वस्त्रों को धारन करना चाहिए। पीले वस्त्र ज्यादा शुभ हैं। इसके बाद विधिवत भगवान विष्णु की पूजा करें। एक साफ चौकी पर गंगाजल छिड़के और पीले वस्त्र डालकर भगवान विष्णु का चित्र वहां स्थापित करें।
साथ ही कलश की भी स्थापना करें और कलश पर लाल रंग के कपड़े बांधे। भगवान विष्णु को पीले फूल की माला और पुष्प आदि अर्पित करें। साथ ही उन्हें मिठाई आदि भी अर्पित करें और फिर पुत्रदा एकादशी की कथा सुने या पढ़ें। पूजा के बाद भगवान विष्णु की आरती करें भोग लगाएं।
Pausha Putrada Ekadashi: पौष पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा
पुत्रदा एकादशी की कथा के अनुसार एक समय की बात है। भद्रावतीपुरी में राजा सुकेतुमान का राज्य था। उनकी रानी का नाम चम्पा था। विवाह के काफी समय हो चुके थे लेकिन पति-पत्नी संतान सुख से वंचित थे। एक दिन दुःखी होकर राजा सुकेतुमान बिना किसी से कुछ बताये वन चले गये। वन में उन्हें एक सरोवर के पास कुछ मुनि दिखाई पड़े। राजा मुनियों के पास पहुंचे और उन्हें प्रणाम किया। मुनियों ने बताया कि वह विश्वदेव हैं।
राजा ने उनसे अपनी संतानहीनता की बात बताई इसका उपचार पूछा। मुनियों ने राजा से कहा कि आपने बड़े ही शुभ दिन पर यह प्रश्न किया है, आज पौष शुक्ल एकादशी तिथि है। इस एकादशी का नाम पुत्रदा एकादशी है। इस व्रत के पुण्य से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है।
बहरहाल, मुनियों की ओर से बताये गये विधि से राजा ने पुत्रदा एकादशी व्रत रखा। कुछ समय बाद रानी चम्पा गर्भवती हुई और एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। राजा का यह पुत्र बड़ा होकरधर्मात्मा और प्रजापालक हुआ।
Pausha Putrada Ekadashi: पौष पुत्रदा एकादशी व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त
पौष पुत्रदा एकादशी तिथि का प्रारंभ 12 जनवरी, 2022 को शाम 4 बजकर 49 मिनट से शुरू हो गया है। इसका समापन 13 जनवरी को शाम 7 बजकर 32 मिनट तक होगा। व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त 14 जनवरी को सुबह 7.15 बजे से 9.21 मिनट तक है।