होली के दिन नालंदा जिले के आधा दर्जन गांवों में नहीं जलता चूल्हा, जानें क्या है मान्यता?
By एस पी सिन्हा | Published: March 7, 2023 04:42 PM2023-03-07T16:42:46+5:302023-03-07T16:43:01+5:30
गाँव के लोगों का कहना है कि होली में घरों में चूल्हा नहीं जलाने की परम्परा पिछले 51 सालों से चली आ रही है। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस इलाके में संत बाबा की समाधि स्थल है।
पटना:बिहार के नालंदा जिले में कई ऐसे गांव हैं, जहाँ होली के मौके पर घरों में चूल्हा ही नहीं जलाया जाता है। जबकि, रंगों का त्यौहार होली पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता और इस दिन लोग अपने घरों में पकवान बनाकर परिजनों और दोस्तों के साथ मिलकर खाते हैं।
जबकि इसके उलट पतुआना, बासवान बिगहा, ढीबरापर, नकटपुरा और डेढ़धारा जैसे गांवों में होली के दिन किसी के घर चूल्हा नहीं जलता है।
गाँव के लोगों का कहना है कि होली में घरों में चूल्हा नहीं जलाने की परम्परा पिछले 51 सालों से चली आ रही है। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस इलाके में संत बाबा की समाधि स्थल है।
संत बाबा का लोग आज भी आदर करते हैं लेकिन आज से 51 साल पहले जब संत बाबा जिन्दा थे। उन्हें गांव में होली मनाने का तरीका बहुत बुरा लगता था। गाँव में लोग होली के दिन शराब पी लेते थे। वहीं, माँस का सेवन भी करते थे। हाल यह है कि इलाके में होली की पहचान शराब और मांस बन गया था।
लोग शराब पीकर हुडदंग मचाते थे। साथ ही लड़ाई झगड़ा भी करते थे। यह सब देखकर संत बाबा ने एक परम्परा की शुरूआत की। उन्होंने होली के दिन किसी घर में चूल्हा नहीं जलाने का फरमान जारी कर दिया। इसके बाद आज भी लोग इस परम्परा को मानते हैं।
यहां होली को घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। होली के एक दिन बाद यहां होली मनाई जाती है। इस दिन संत बाबा के समाधि स्थल पर पूजा अर्चना की जाती है। वहीं होलिका दहन के दिन अखंड कीर्तन का आयोजन किया जाता है।