निर्जला एकादशी 2020: 2 जून को है साल की सबसे बड़ी एकादशी, भूलकर भी ना करें इस 1 चीज का सेवन
By मेघना वर्मा | Published: May 30, 2020 08:57 AM2020-05-30T08:57:33+5:302020-05-30T08:57:33+5:30
निर्जला एकादशी को साल की कुछ महत्वपूर्ण एकादशी में गिना जाता है। मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत ऐसा है जिसे करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं।
निर्जला एकादशी को हिन्दू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है। इस दिन लोग भगवान विष्णु के प्रिय एकादशी का व्रत करते हैं। इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 2 जून को पड़ रहा है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं।
निर्जला एकादशी को साल की कुछ महत्वपूर्ण एकादशी में गिना जाता है। मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत ऐसा है जिसे करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं। हलांकि दिन भर प्यासे रहने वाला ये व्रत बहुत कठिन होता है।
माना जाता है कि साल भर की सभी एकादशियों का फल केवल एक दिन के इस एकादशी व्रत को करने से मिलता है। ऐसी भी मान्यता है कि इसे महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था। इसलिए इसे भीम एकादशी भी कहते हैं।
इस व्रत को हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं। सभी एकादशी में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है लेकिन निर्जला एकादशी करने से सभी एकादशियों का फल साधक को मिलता है।
निर्जला एकादशी तिथि - 2 जून 2020
एकादशी तिथि प्रारम्भ - 1 जून दोपहर 2 बजकर 57 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त - 2 जून को दोपहर 12 बजकर 4 मिनट पर
निर्जला एकादशी व्रत के दौरान किन बातों का रखें ध्यान
निर्जला एकादशी व्रत करने वालों को साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए आपको एक दिन पहले से ही तैयारी शुरू करनी चाहिए। एक दिन पहले से ही आप सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का भी पालन अनिवार्य रूप से करें।
ना करें इसका सेवन
विष्णु पुराण के अनुसार एकादशी पर चावल खाने से पुण्य फल नष्ट हो जाते है। एकादशी के दिन भूलकर भी चावल नहीं खाने चाहिए। चावल को हविष्य अन्न कहा गया है। यानी ये देवताओं का भोजन है। एकादशी तिथि पर जौ, मसूर की दाल, बैंगन और सेमफली नहीं खानी चाहिए।
एकादशी के एक दिन पहले ही सूर्यास्त से पहले घर पर झाड़ू लगा करके सफाई कर लें, क्योंकि एकादशी पर झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से गलती से हमसे चींटी और सूक्ष्म जीव मर जाते हैं और इससे पाप लगता है। इसलिए एकादशी के दिन झाड़ू ना लगाएं।