Nirjala Ekadashi: निर्जला एकादशी कब है, जानें इसकी व्रत कथा, महत्व और पूजन विधि
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 6, 2019 11:27 AM2019-06-06T11:27:56+5:302019-06-06T11:27:56+5:30
निर्जला एकादशी व्रत करने वालों को साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए आपको एक दिन पहले से ही तैयारी शुरू करनी चाहिए।
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी में पड़ने वाली निर्जला एकादशी व्रत का हिंदू मान्यताओं के अनुसार बहुत महत्व है। मान्यताओं के अनुसार यह ऐसा व्रत है जिसे करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और साल भर की सभी एकादशियों का फल केवल एक दिन के इस व्रत को करने से मिलता है। ऐसी भी मान्यता है कि इसे महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था। इसलिए इसे भीम एकादशी भी कहते हैं।
आईए, हम आपको बताते हैं कि इस बार यानी साल 2019 में निर्जला एकादशी कब है, इससे जुड़ी क्या कथा है जिसके बाद इसकी महत्ता काफी बढ़ गई और इस व्रत को करते समय आप किन-किन बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखें।
Nirjala Ekadashi 2019: निर्जला एकादशी व्रत कब है
निर्जला व्रत इस साल 13 जून (गुरुवार) को है। इस व्रत को हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है और इसका काफी महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं। सभी एकादशियों में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है लेकिन निर्जला एकादशी करने से सभी एकादशियों का फल साधक को मिलता है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि वेदव्यास पांडवों को सभी चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का महत्व बता रहे थे। इसी दौरान भीम ने कहा कि इसमें सभी चीजों के लिए एक दिन उपवास की बात कही गई है लेकिन उनके लिए ऐसा करना काफी मुश्किल है।
भीम ने कहा कि उन्हें भूख को शांत करने के लिए दिन में कई बार और काफी ज्यादा भोजन करना पड़ता है, ऐसे में भला वे इसे कैसे करेंगे और क्या इस व्रत से वंचित रह जाएंगे? इस पर महर्षि वेदव्यास ने भीम को निर्जला एकादशी के बारे में बताया और कहा कि इसे करने से सभी एकादशियों का फल प्राप्त होगा। भीम ने ऐसा ही किया और इस व्रत को पूरा किया।
Nirjala Ekadashi 2019: निर्जला एकादशी व्रत के दौरान किन बातों का रखें ध्यान
- निर्जला एकादशी व्रत करने वालों को साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए आपको एक दिन पहले से ही तैयारी शुरू करनी चाहिए। एक दिन पहले से ही आप सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का भी पालन अनिवार्य रूप से करें।
- व्रत के दिन तड़के उठकर स्नान करें और सभी पवित्र नदियों का जाप भी जरूर करें। स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प करें।
- इसके बाद पूजन शुरू करें। भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। ऐसे में उन्हें पीले फल, पीले फूल, पीले पकवान आदि का भोग लगाएं। दीप जलाएं और आरती करें। आप इस दौरान- 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का भी जाप करें।
- दान जरूर करें। खासकर किसी गौशाला में धन या फिर प्याऊ में मटकी आदि या पानी का दान करें। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं और उनकी भी पूजा करें।
- व्रत के बाद अगले दिन सुबह उठकर और स्नान करने के बाद एक बार फिर भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही गरीब, जरूरतमंद या फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसके बाद ही खुद भोजन ग्रहण करें।