नवरात्रि पर देश के अलग-अलग राज्यों में मां दुर्गा की उपासना के साथ गरबा महोत्सव भी बनाया जाता है। गरबा का सीधा कनेक्शन मां दुर्गा से है। गरबा की शुरुआत गुजरात से हुई है और इसके पीछे मां दुर्गा से जुड़ी एक मान्यता है। इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि आखिर नवरात्रि में गरबा क्यों किया जाता है।
गुजरात में होती है सबसे ज्यादा धूम
गरबा महोत्सव की सबसे ज्यादा धूम गुजरात में होती है। यहां पर लोग बढ़ चढ़कर इस महोत्सव में हिस्सा लेते हैं। यह गुजरात का पारंपरिक लोक नृत्य है, जिसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में नौ दिन गरबा खेल कर भक्तजन मां दुर्गा को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं और अपने लिए मनचाहे फल की कामना करते हैं।
सभी वर्ग के लोग होते हैं शामिल
गरबा का धार्मिक महत्व तो है ही इसके साथ ही गरबा दांडिया मौज-मस्ती के रंग बिखरने के लिए जाना जाता है। इसे लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा सकता है। इस आयोजन में सभी आयु वर्ग के लोग शामिल होते हैं।
कच्चे मिट्टी केे घड़े की स्थापना की जाती है
नवरात्रों में शाम को डांडिया नृत्य के जरिए मां दुर्गा की पूजा की जाती है। नवरात्रों की पहली रात्रि को कच्चे मिट्टी के छेदयुक्त घड़े, जिसे 'गरबो' कहते हैं, इसकी स्थापना होती है। फिर उसके अंदर दीपक जलाया जाता है। यह दीप ज्ञान की रोशनी का प्रतीक माना जाता है।
मां दुर्गा ने किया था राक्षस का वधवर्षों पहले गुजरात में महिषासुर राक्षस के आतंक से त्रस्त लोगों ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराधना की। देवताओं के प्रकोप से तब देवी जगदंबा प्रकट हुर्इं और उन्होंने उस राक्षस का वध किया। तभी से यहां नवरात्रि में भक्तगण नौ दिन तक उपवास करने लगे और देवी के सम्मान में डांडिया करने लगे।