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Nag Panchami 2019: इस बार नाग पंचमी पर सावन के सोमवार के साथ-साथ चतुष्ग्रही योग, जानिए क्या है महत्व

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 5, 2019 09:17 IST

पुराणों की एक कथा के अनुसार इस दिन (नाग पंचमी) नाग जाति का जन्म हुआ था। महाराजा परीक्षित को उनका पुत्र जनमेजय जब तक्षक नाग के काटने से नहीं बचा सका तो जनमेजय ने सर्प यज्ञ कर तक्षक को अपने सामने पश्चाताप करने के लिये मजबूर कर दिया।

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ठळक मुद्दे20 साल बाद नाग पंचमी और सावन का सोमवार व्रत एक साथ मान्यता है कि नाग पंचमी के ही दिन नाग जाति का जन्म हुआ थादुनिया की दूसरी सभ्यताओं में भी मौजूद रही है नागों को पूजने की परंपरा

सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाले नाग पंचमी के पर्व के मौके पर इस बार एक अति महत्त्वपूर्ण योग का निर्माण हो रहा है जो 20 साल बाद बना है जो अति शुभ योगकारक है। इस बार सावन का सोमवार व्रत और नागपंचमी एक साथ पड़े हैं। इससे पूर्व यह संयोग 25 अगस्त 1999 श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी को बना था। इस वर्ष इस योग के साथ-साथ अन्य संयोग भी बन रहे है जो इसके महत्त को बढ़ाने वाले है।             पं दिवाकर त्रिपाठी त्रिपाठी पूर्वांचली कहते है सावन के सोमवार और नागपंचमी दोनों का विशेष महत्त्व होता है उस पर भी जब दोनों का योग एक साथ हो जाये तो इसके माहात्म्य में अति वृद्धि हो जाती है। 

इस वर्ष पंचमी तिथि 4 अगस्त दिन रविवार को रात में 11:03 बजे से प्रारम्भ होकर 5 अगस्त 2019 दिन सोमवार को पूरा दिन विद्यमान रहकर रात में 08:41 बजे तक है। 

इस दिन सुबह 06:54 बजे तक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र ,उसके बाद शाम को 05:24 बजे तक हस्त नक्षत्र ,तत्पश्चात चित्रा नक्षत्र लग जायेगी सिद्ध योग,बव करण और श्रीवत्स योगा के साथ-साथ, बुद्धि कारक ग्रह बुध और मन कारक ग्रह चन्द्र राशि परिवर्तन योग में विद्यमान रहेंगे एवं इस दिन सूर्य ,मंगल ,बुध एवं शुक्र का एक साथ कर्क राशि मे चतुष्ग्रही होकर विद्यमान होना इस तिथि की शुभता को बढ़ाने वाला होगा। 

Nag Panchami 2019: नाग पंचमी का है हिंदू धर्म में बहुत महत्व

उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं.दिवाकर के अनुसार हिन्दू शास्त्रों में नाग पंचमी का अति महत्त्व है। शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का दिन नाग पंचमी के रुप में मनाया जाता है। इसके अलावा भी प्रत्येक माह की पंचमी तिथि के देव नाग देवता ही है। वैसे, श्रवण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी में नाग देवता की पूजा विशेष रुप से की जाती है। 

इस दिन नागों की सुरक्षा करने का भी संकल्प लिया जाता है। श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी का पर्व प्रत्येक वर्ष पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ मनाया जाता है |

 नाग पूजन प्राचीन सभ्यताओं से नाग पंचमी के दिन नागों का दर्शन करना शुभ होता है। सर्पों को शक्ति व सूर्य का अवतार माना जाता है। हमारा देश धार्मिक आस्था और विश्वास का देश है। हमारे यहां सर्प, अग्नि, सूर्य और पितरों को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। प्राचीन इतिहास की प्रमाणों को उठाकर देखे तो भी इसी प्रकार के प्रमाण हमारे सामने आते है.।           

इतिहास की सबसे प्राचीन सभ्यताएं जिसमें मोहनजोदडों, हडप्पा और सिंधु सभ्यता के अवशेषों को देखने से भी कुछ इसी प्रकार की वस्तुएं सामने आई है, जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है, कि नागों के पूजन की परम्परा हमारे यहां नई नहीं है। इन प्राचीन सभ्यताओं के अलावा मिस्त्र की सभ्यता भी प्राचीन सभ्यताओं में से एक है।  यहां आज भी नाग पूजा को मान्यता प्राप्त है। शेख हरेदी नामक पर्व आज भी यहां सर्प पूजा से जुडा हुआ पर्व है।

          

पं दिवाकर त्रिपाठी कहते है कि हिन्दू धर्म-संस्कृति में प्रकृति के प्रत्येक प्राणी, वनस्पति, यहां तक की चल-अचल जगत को भगवान के रुप में देखता है। प्राचीन ऋषि- मुनियों ने सभी पूजाओं, पर्वों, उत्सवों को धर्म भाव से जोडा है। इससे एक ओर ये पर्व व्यक्ति की धार्मिक आस्था में वृ्द्धि करते है। दूसरी ओर अप्रत्यक्ष रुप से ये व्यक्ति को पर्यावरण से जोड रहे होते है। इसी क्रम में नाग को देवप्राणियों की श्रेणी में रखा गया, तथा नागदर्शन और पूजन को विशेष महत्व दिया गया।

Nag Panchami 2019: नाग पंचमी के दिन हुआ था नागों का जन्म

पुराणों की एक कथा के अनुसार इस दिन (नाग पंचमी) नाग जाति का जन्म हुआ था। महाराजा परीक्षित को उनका पुत्र जनमेजय जब तक्षक नाग के काटने से नहीं बचा सका तो जनमेजय ने सर्प यज्ञ कर तक्षक को अपने सामने पश्चाताप करने के लिये मजबूर कर दिया। तक्षक के द्वारा क्षमा मांगने पर उन्हें क्षमा कर दिया और यह कहा गया की श्रावण मास की पंचमी को जो जन नाग देवता का पूजन करेगा, उसे नाग दोष से मुक्ति मिलती है।        

नागों को नहीं पिलाना चाहिए दूध!

पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया की नाग देवता की पूजा-उपासना के दिन नागों को दूध पिलाने का कार्य नहीं करना चाहिए। उपासक चाहें तो शिवलिंग को दूध स्नान करा सकता है। यह जानते हुए की दूध पिलाने से नागों की मृ्त्यु हो जाती है। ऎसे में उन्हें दूध पिलाने से अपने हाथों से अपने देवता की जान लेने के समान है। इसलिये भूलकर भी ऎसी गलती करने से बचना चाहिए। इससे श्रद्वा व विश्वास के शुभ पर्व पर जीव हत्या करने से बचा जा सकता है।  

पं त्रिपाठी कहते है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन नाग देवता के पूजन से कुण्डली में विद्यमान सर्प योग सहित समस्त ग्रहो की अशुभता को शुभता में परिवर्तित किया जा सकता है। इस दिन रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय, काल सर्प पूजन आदि किया जाना श्रेयष्कर होता है।

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