Muharram 2019: आज है मुहर्रम, जानिए इस्लाम में क्या है इसका महत्व

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 10, 2019 07:07 IST2019-09-10T07:07:08+5:302019-09-10T07:07:08+5:30

Muharram 2019 Matam Significance, History, known Facts: देश भर में शिया मुस्लिम जब इस महीने में इमाम हुसैन की शहादत का शोक मनाते हैं तो भाईचारे के तौर पर कई हिंदू भी इसमें हिस्सा लेते हैं। ये इस्लामिक नए साल का पहला पर्व है।

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Muharram 2019: आज है मुहर्रम, जानिए इस्लाम में क्या है इसका महत्व

Highlightsहुसैनी ब्राह्मण या मोहयाल समुदाय के लोग हिंदू और मुसलमान दोनों में होते हैं।भारत के बंटवारे से पहले ज्यादातर हुसैनी ब्राह्मण सिंध और लाहौर क्षेत्र में रहते थे।

Muharram 2019: इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम शुरू गया है। देश भर में शिया मुस्लिम जब इस महीने में इमाम हुसैन की शहादत का शोक मनाते हैं तो भाईचारे के तौर पर कई हिंदू भी इसमें हिस्सा लेते हैं। मुहर्रम इस महीने की 10वीं तारीख को मनाया जा रहा है। इसे आशूरा भी कहा जाता है। ये इस्लामिक नए साल का पहला पर्व है।

बताया जाता है कि बादशाह यजीद ने अपनी सत्ता कायम करने के लिए हुसैन, उनके परिवार के लोगों और दोस्तों पर जुल्‍म किया और मुहर्रम के 10वें दिन को उन्‍हें मौत के घाट उतार दिया। हुसैन का मकसद इस्‍लाम और इंसानियत को जिंदा रखना था। यह धर्म युद्ध इतिहास के पन्‍नों पर हमेशा के लिए दर्ज हो गया। मुहर्रम का दिन अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है।
 
यह बात कई लोग जानते हैं। हालांकि, क्या आप इस बात से वाकिफ हैं कि ब्राह्मणों का एक तबका ऐसा भी है जिसे 'मोहयाल ब्राह्मण' कहा जाता है। ज्यादातर ऐसे ब्राह्मण खुद को 'हुसैनी ब्राह्मण' कहते हैं। 

दो धर्मों का नाम मिलाकर एक किये जाने का मतलब दरअसल ये नहीं है कि ये ब्राह्मण भावना के खिलाफ हैं हालांकि, ये भी सच है कि यह तबका मुहर्रम के शोक महीने में सामाजिक जश्न जैसे शादी वगैरह से खुद को दूर रखता है। 

Muharram 2019: 'हुसैनी ब्राह्मण' कौन हैं और क्या है पहचान

हुसैनी ब्राह्मण या मोहयाल समुदाय के लोग हिंदू और मुसलमान दोनों में होते हैं। हुसैनी ब्राह्मणों के बीच कुछ जाने-पहचाने लोगों की बात करें तो फिल्म स्टार सुनील दत्त, उर्दू के बड़े लेखक कश्मीरी लाल जाकिर, सब्बीर दत्त और नंद किशोर विक्रम कुछ ऐसे नाम हैं जो इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। भारत के बंटवारे से पहले ज्यादातर हुसैनी ब्राह्मण सिंध और लाहौर क्षेत्र में रहते थे। हालांकि, बाद के वर्षों में इन्हें बड़ी संख्या में पुणे, दिल्ली, इलाहाबाद और पुष्कर जैसी जगहों पर जाकर बसना पड़ा। ये सभी 10 मुहर्रम के दिन हुसैन की शहादत के गम में मातम करते हैं।

English summary :
Muharram 2019 Matam significance, history, known facts in Hindi: When Shia Muslims across the country mourn the martyrdom of Imam Hussain in this month, many Hindus also take part in it as brotherhood. This is the first festival of the Islamic New Year.


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