महाभारत: राजा परीक्षित की एक गलती से धरती पर ऐसे आया कलियुग, जानिए किस पर दिखा पहला प्रभाव

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 14, 2019 11:55 AM2019-07-14T11:55:16+5:302019-07-14T11:55:16+5:30

मान्यताओं के अनुसार द्वापरयुग में महाभारत युद्ध के कुछ वर्षों बाद कलियुग का आगमन पृथ्वी पर हुआ। कलियुग उस समय आया जब भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी छोड़ बैकुंठ लौट चुके थे और पांडव भी इस दुनिया को छोड़ चुके थे।

Mahabharat in hindi story of Raja Parikshit, how kalyug started and when it will end | महाभारत: राजा परीक्षित की एक गलती से धरती पर ऐसे आया कलियुग, जानिए किस पर दिखा पहला प्रभाव

राजा परीक्षित पर कलियुग ने दिखाया था सबसे पहला असर

Highlightsभगवान श्रीकृष्ण के बैकुंठ धाम जाने के बाद धरती पर फैला कलियुगअर्जुन के पौत्र और अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित के काल के दौरान धरती पर आया कलियुगकलियुग सबसे पहले मानव रूप में आया था राजा परीक्षित के सामने

हिंदू धर्मग्रंथों में पृथ्वी पर चार युगों के चक्र की बात कही गई है। इसके अनुसार सतयुग, त्रेता और द्वापरयुग के बाद अब पृथ्वी पर कलियुग चल रहा है। कलियुग ऐसा युग माना गया है जिसमें धरती पर पाप बढ़ता चला जाएगा और मनुष्य धर्म के रास्ते से भटक जाएंगे। हिंदू मान्यताओं के अनुसार कलियुग के समापन के समय प्रलय जैसी परिस्थिति प्रकट हो जाएगी और सभी प्राणियों का अंत हो जाएगा। इसके बाद पृथवी पर नये जीवन की पृष्ठभूमि एक बार फिर तैयार होगी और दोबारा एक-एक कर सभी युग आएंगे। 

मान्यताओं के अनुसार द्वापरयुग में महाभारत युद्ध के कुछ वर्षों बाद कलियुग का आगमन पृथ्वी पर हुआ। कलियुग उस समय आया जब भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी छोड़ बैकुंठ लौट चुके थे और पांडव भी इस दुनिया को छोड़ चुके थे। कलियुग के आगमन के समय अर्जुन के पौत्र और अभिमन्यु के पराक्रमी बेटे परीक्षित का शासन था। परीक्षित भी इस बात को जानते थे कि कलियुग आने वाला है और उन्होंने उसे रोकने की भी तैयारी कर ली थी। हालांकि, वे इसमें सफल नहीं हो सके। कलियुग मानव के रूप में आया और अपने छल से राजा परीक्षित से यहां रहने की अनुमति हासिल कर ली।

कलियुग धरती पर कैसे आया?

राजा परीक्षित एक दिन शिकार पर जा रहे थे। इसी दौरान रास्ते में उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति हाथ में डंडा लिए हुए है और एक बैल और गाय को पीट रहा है। उस बैल के एक ही पैर थे। यह देख राजा परीक्षित क्रोधित हो गये और उस व्यक्ति से पूछा- 'तू कौन है जो इस तरह अत्याचार कर रहा है। तुझे ऐसे काम के लिए मृत्युदंड मिलना चाहिए।'

राजा का क्रोध देख कलियुग उनके चरणों में गिर गया और क्षमा-याचना करने लगा। राजा परीक्षित ने उसे माफ कर दिया लेकिन साथ ही वे यह भी समझ गये कि यह पूरी माया क्या है। दरअसल, वह जान गये कि एक पैर वाला बैल धर्म है और गाय के रूप में धरती मां हैं। साथ ही उन्हें ये भी ज्ञात हो गया कि यह कलियुग है।

राजा परीक्षित ने कलियुग को चेतावनी देते हुए कहा कि उन्होंने उसे इस कृत्य के लिए क्षमा तो कर दिया है लेकिन वह उनके राज्य की सीमा से बाहर चला जाए। इस पर कलियुग ने भगवान ब्रह्मा के नियम की दुहाई देते हुए कहा, 'महाराज आपका शासन पूरी धरती पर है। ऐसे में मैं कहां जाऊं। नियमों के अनुसार मुझे यहां रहना है। ऐसे में आप ही कुछ उचित स्थान दें जहां मैं रह सकूं।'  

कलियुग को लेकर राजा परीक्षित से हो गई बड़ी गलती

कलियुग के गिड़गिड़ाने पर राजा परीक्षित ने उसे रहने के धरती पर जुआ, मदिरा, परस्त्रीगमन और हिंसा जैसी चार जगहें दे दी। इस पर कलियुग ने प्रार्थना करते हुए कहा, 'ये सभी तो ऐसे स्थान है जहां बुरे व्यक्ति जाते हैं। कोई एक ऐसा स्थान भी दीजिए जो अच्छा माना जाता है।' 

इस पर राजा ने उसे सोने (स्वर्ण) में रहने की अनुमति दे दी और शिकार के लिए आगे निकल गये। राजा परीक्षित यहां भूल गये कि उन्होंने स्वयं भी स्वर्ण मुकुट पहना है। कलियुग को मौका मिल गया और वह सूक्ष्म रूप में राजा के ही सिर पर बैठ गया।

कलियुग ने राजा परीक्षित पर दिखाया पहला असर

राजा जब शिकार के लिए आगे बढ़े को उन्हें रास्ते में प्यास लगी। वह पास में मौजूद शमिक ऋषि के आश्रम में गये और जल के लिए आवाज लगाई। ऋषि शामिक उस समय ध्यान में लीन थे और ऐसे में उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया। यहीं कलियुग ने अपना पहला असर दिखाया। सिर पर कलियुग के बैठे होने की वजह से राजा परीक्षित को लगा कि ऋषि उनका अपमान कर रहे हैं। ऐसे में वह क्रधित हो गये। 

उन्होंने ऋषि शामिक को परेशान करने के लिए एक मरा हुआ सांप उनके गले में डाल दिया। उसी समय नदी से स्नान कर लौट रहे ऋषि शामिक के पुत्र श्रृंगी को जब यह घटनाक्रम मालूम हुआ उन्होंने राजा परीक्षित के 7 दिनों के अंदर तक्षक नाग से डस कर मृत्यु हो जाने का शाप दे दिया। ऐसा ही हुआ और राजा परीक्षित की मौत तक्षक नाग के डसने से हो गई। इसके बाद कलियुग को अपने पैर पसारने का मौका मिल गया और वह पूरी दुनिया में छा गया।   

कलियुग कब खत्म होगा, क्या कहती है गणना

पुराणों के अनुसार देवताओं के लिए माने जाने वाले दिव्य वर्षों के अधारा पर सभी युगों का समय निर्धारित है। दरअसल, मानव का एक साल देवताओं के एक अहोरात्र यानी दिन-रात के बराबर होता है। एक सूर्य संक्रांति से दूसरी संक्रांति की अवधि को सौर मास कहा जाता है। यह मास आम तौर पर 30 या 31 दिन का होता है। ऐसे में 12 सौर मास का 1 सौर वर्ष ही देवताओं का एक अहोरात्र होता है। ऐसे ही 30 अहोरात्र, देवताओं के एक माह और 12 मास एक दिव्य वर्ष कहलाते हैं। इन्ही दिव्य वर्षों के आधार पर सभी युगों की अवधि भी निर्धारित है। इस लिहाज से सभी युग इस प्रकार है...

सतयुग- 4800 (दिव्य वर्ष) यानी 17, 28,000 (सौर वर्ष)
त्रेतायुग- 3600 (दिव्य वर्ष) यानी 12, 96, 100 (सौर वर्ष)
द्वापरयुग- 2400 (दिव्य वर्ष) यानी 8, 64,000 (सौर वर्ष)
कलियुग- 1200 (दिव्य वर्ष) यानी 4, 32,000 (सौर वर्ष)

कलियुग के शुरू हुए अभी करीब 6000 साल ही हुए हैं। कलियुग की अवधि करीब 4 लाख  वर्ष है। ऐसे में इसके खत्म होने में अभी काफी समय है।

Web Title: Mahabharat in hindi story of Raja Parikshit, how kalyug started and when it will end

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