रामायण के बाद दूरदर्शन पर शुरू होगा 'श्री कृष्णा', पढ़ें क्या हुआ जब दोस्त सुदामा ने श्रीकृष्ण को दिया दो मुट्ठी चावल?
By मेघना वर्मा | Published: April 27, 2020 11:43 AM2020-04-27T11:43:02+5:302020-04-27T13:26:01+5:30
भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े बहुत से प्रसंग सुनने को मिलते हैं। उनमें से एक प्रसंग है सुदामा और श्रीकृष्ण की दोस्ती का।
कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लॉकडाउन चल रहा है। लोग अपने घरों में समय बिता रहे हैं जो कि वर्तमान परिस्थिति के अनुरूप भी हैं। वहीं इस समय पर भारत सरकार की ओर से सभी पुराने धारावाहिक शुरू किए जा रहे हैं। दूरदर्शन पर शुरू हुए इन कार्यक्रमों, रामायण, महाभारत, व्योमकेश बक्शि और रंगोली पर लोगों का अच्छा रिएक्शन मिल रहा है।
वहीं एक बार फिर से भारत सरकार डीडी नेशनल पर पुराने श्रीकृष्णा का प्रसारण करने जा रही है। इस बात की जानकरी दूरदर्शन ने ऑफिशियल इस बात की जानकारी दी है कि जल्द ही श्रीकृष्णा का प्रसारण डीडी नेशनल पर किया जाएगा।
भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े बहुत से प्रसंग सुनने को मिलते हैं। उनमें से एक प्रसंग है सुदामा और श्रीकृष्ण की दोस्ती का। आज हम आपको श्रीकृष्ण और सुदामा की इसी दोस्ती के बारे में बताने जा रहे हैं-
बचपन के मित्र थे सुदामा और श्रीकृष्णा
श्रीमद्भागवत कथा में के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा अच्छे मित्र थे। गोकुल में वह एक साथ खेलकर बड़े हुए। बाद में पाप का अंत करने के लिए भगवान मथुरा आ गए। वहां पर उन्होंने कंस का संहार किया। कृष्ण के मथुरा जाने के बाद सुदामा के घर काफी गरीबी आ गई।
पत्नी ने सुदामा से कहा श्रीकृष्ण से मिलो
सुदामा के घर की स्थित ठीक नहीं थी। दो वक्त की रोटी भी उन्हें ठीक से नसीब नहीं हो पाती थी। गरीबी से तंग सुदामा की पत्नी सुशीला ने सुदामा से कहा कि तुम अपने बचपन के मित्र श्रीकृष्ण से मिलो, वह मदद कर सकते हैं। पत्नी के कहने पर सुदामा बचपन के मित्र से मिलने के लिए तैयार हुए थे।
श्रीकृष्ण दौड़कर लगे थे सुदामा के गले
जब सुदामा, श्रीकृष्ण से मिलने जाने लगे तो पत्नी सुशीला ने उन्हें चावल दिया। कहा जब श्रीकृष्ण से भेंट हो तो उन्हें ये चावल देना। जब सुदामा मथुरा पहुंचे तब द्वार पाल के माध्यम से सूचना पाकर श्रीकृष्णा दौड़कर सखा सुदामा से गले मिले। वहां पर उपस्थित लोग आश्चर्य चकित हो गए। सुदामा का भगवान श्रीकृष्ण से स्वागत सत्कार किया।
दो मुट्ठी चावल के बदले दे दिया दोनों लोक
जब सुदामा ने पत्नी के दिए चावल श्रीकृष्ण को दिए तो श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न हुए। भगवान ने उस चावल में से दो मुट्ठी चावल खाया तो सुदामा दो लोक के मालिक हो गए। उनकी इस मित्रता लोगों के लिए सीख बन गई। ये दृश्य देखकर वहां मौजूद सभी लोगों का दिल पसीज गया।
तीसरी मुट्ठी चावल खाने से रुक्मणि ने रोका
जब श्रीकृष्ण ने तीसरी मुट्ठी में चावल लिया तो रुक्मणि ने रोक दिया। उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा- प्रभु यदि आपने यह चावल खाया तो एक लोक जो बचा हुआ है, उसके मालिक भी सुदामा हो जाएंगे और देवता कहां जाएंगे। श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती लोगों के लिए मिसाल है।