अगर वर्षा के देवता इंद्र प्रसन्न रहे, तो 27 और 28 जुलाई की दरम्यानी रात पूर्ण चंद्रगहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की लुकाछिपी का अद्भुत नजारा देश के अधिकांश हिस्सों में दिखायी देगा। सदी के सबसे लम्बे पूर्ण चंदग्रहण के दौरान चंद्रमा करीब एक घंटे 43 मिनट तक पृथ्वी की ओट में पूरी तरह छिपा दिखायी देगा।
उज्जैन की प्रतिष्ठित शासकीय जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्रप्रकाश गुप्त ने आज "पीटीआई-भाषा" को कहा, "आगामी पूर्ण चंद्रगहण देश के अधिकांश हिस्सों में देखा जा सकेगा, जहां मॉनसून के जारी मौसम के दौरान आकाश साफ रहेगा."
उन्होंने बताया कि पूर्ण चंद्रग्रहण की शुरूआत भारतीय मानक समय के मुताबिक 27 जुलाई को रात 11बजकर 54 मिनट 02 दो सेकेंड होगी, जब पृथ्वी की काली छाया चंद्रमा को आहिस्ता-आहिस्ता ढंकना शुरू करेगी।
कोई दो सदी पुरानी वेधशाला के निदेशक ने अपनी गणना के हवाले से बताया कि पूर्ण चंद्रग्रहण रात 01 बजकर 51 मिनट 08 सेकेंड बजे अपने चरम स्तर पर पहुंचेगा, जब पृथ्वी की छाया से चंद्रमा 161.4 प्रतिशत ढंका नजर आयेगा। पूर्ण चंद्रग्रहण की यह स्थिति अगले एक घंटे 42 मिनट 57 सेकण्ड तक रहेगी। इसके बाद पृथ्वी की छाया चंद्रमा से धीरे-धीरे हटने लगेगी और 28 जुलाई को तड़के 03 बजकर49 मिनट03 सेकेंड बजे ग्रहण खत्म हो जायेगा।
गुप्ता ने बताया कि पूर्ण चंद्रग्रहण का यह नजारा नजारा एशिया के कुछ अन्य देशों के साथ अंटाकर्टिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, रूस, अफ्रीका और अमेरिका के कुछ इलाकों में भी दिखेगा।
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पूर्ण चंद्रग्रहण तब लगता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और अपने उपग्रह चंद्रमा को अपनी छाया से ढंक लेती है। चंद्रमा इस स्थिति में पृथ्वी की ओट में पूरी तरह छिप जाता है और उस पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ पाती है। इस खगोलीय घटना के वक्त पृथ्वीवासियों को चंद्रमा रक्तिम आभा लिये दिखायी देता है। लिहाजा इसे "ब्लड मून" भी कहा जाता है।