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Karwa Chauth 2021 Moon Rising Time: करवा चौथ व्रत आज, जानें व्रत विधि और चांद निकलने का समय

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 24, 2021 11:11 IST

करवा चौथ व्रत 24 अक्टूबर को है। इस बार करवा चौथ पर शुभ संयोग भी बन रहा है। इस दिन चंद्र देव रोहिणी नक्षत्र में उदय होंगे। इस नक्षत्र में व्रत रखना बेहद शुभ होता है। व्रती को मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

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ठळक मुद्दे 24 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 43 मिनट से 06 बजकर 59 मिनट तक रहेगा पूजा मुहूर्त24 अक्टूबर को चांद रात 08 बजकर 07 मिनट पर निकलेगा

करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए निर्जल व्रत का पालन करती हैं। करवा चौथ व्रत आज है। ऐसे में व्रती को पहले से ही इस व्रत की तैयारी करनी होती है। सबसे पहले करवा चौथ व्रत में उपयोग होने वाली चीजों की खरीदारी की जाती है। 

करवा चौथ व्रत मुहूर्त 

चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 24 अक्टूबर, रविवार को सुबह 03 बजकर 01 मिनट परचतुर्थी तिथि समाप्त: 25 अक्टूबर 2021 को सुबह 05 बजकर 43 मिनट परपूजा मुहूर्त: 24 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 43 मिनट से 06 बजकर 59 मिनट तक रहेगा

चांद निकलने का समय

चंद्रोदय: 24 अक्टूबर को चांद रात 08 बजकर 07 मिनट पर निकलेगा।

करवा चौथ की पूजा सामाग्री

मिट्टी का टोंटीदार करवा और उसका ढक्कन, गंगाजल, पानी के लिए एक लोटा, रूई, अगरबत्ती, दीपक, रोली, अक्षत, फूल, चंदन, कुमकुम, गाय का कच्चा दूध, दही, देसी घी, चावल, मिठाई, शहद, चीनी, हल्दी, चीनी का बूरा, माता गौरी को बनाने के लिए पीली मिट्टी, चंद्रमा को जल अर्पित करने के लिए छलनी, लकड़ी की चौकी।

करवा चौथ व्रत विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की परंपरा के अनुसार सरगी आदि ग्रहण करें। स्नानादि करने के पश्चात निर्जल व्रत का संकल्प करें। शाम के समय तुलसी के पास बैठकर दीपक प्रज्वलित कर करवाचौथ की कथा सुनें। चंद्रोदय से पहले ही एक थाली में धूप-दीप, रोली, पुष्प, फल, मिष्ठान आदि रख लें। एक लोटे में अर्घ्य देने के लिए जल भर लें। मिट्टी के बने करवा में चावल या फिर चिउड़ा आदि भरकर उसमें दक्षिणा के रुप में कुछ पैसे रख दें। एक थाली में श्रृंगार का सामान भी रख लें। चंद्र दर्शन कर पूजन आरंभ करें। सभी देवी-देवताओं का तिलक करके फल-फूल मिष्ठान आदि अर्पित करें। श्रृंगार के सभी सामान को भी पूजा में रखें और टीका करें। अब चंद्र देव को जल का अर्घ्य दें। छलनी में दीप जलाकर चंद्र दर्शन करें, अब छलनी से अपने पति के दर्शन करें। इसके बाद पति के हाथों से जल पीकर व्रत का पारण करें। अंत में  श्रृंगार की सामाग्री और करवा को अपनी सास या फिर किसी सुहागिन स्त्री को दें।

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