Ganga Snan 2023 Date: कार्तिक पूर्णिमा पर इस समय करें गंगा स्नान, समस्त प्रकार के रोग-दोष होंगे दूर, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
By रुस्तम राणा | Published: November 20, 2023 03:23 PM2023-11-20T15:23:57+5:302023-11-20T15:23:57+5:30
हिन्दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान, दीपदान और भगवान की आराधना का विधान है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से समस्त प्रकार से रोग-दोष और पापों से छुटकारा मिलता है।

Ganga Snan 2023 Date: कार्तिक पूर्णिमा पर इस समय करें गंगा स्नान, समस्त प्रकार के रोग-दोष होंगे दूर, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
Ganga Snan 2023 Date: हिंदू धर्म में गंगा स्नान का बड़ा महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा तिथि को गंगा स्नान किया जाता है, इसलिए इस पर्व को गंगा स्नान भी कहा जाता है। इस साल गंगा स्नान 27 नवंबर को किया जाएगा। दरअसल, हिन्दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान, दीपदान और भगवान की आराधना का विधान है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से समस्त प्रकार से रोग-दोष और पापों से छुटकारा मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन काशी में देव दिवाली मनाई जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 26 नवंबर 2023 को शाम 03 बजकर 53 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 27 नवंबर 2023 को शाम 02 बजकर 45 मिनट पर
इस विधि से करें गंगा स्नान
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। अगर संभव ना हो तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। इसके बाद देवी तुलसी का पौधा और भगवान विष्णु की अर्चना करें।
इस अवसर पर ऐसे पाएं लाभ
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी के समीप और तालाब, सरोवर या गंगा तट पर दीप जलाने से या दीप दान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का वरदान देती हैं। वहीं विष्णु जी को तुलसी पत्र की माला और गुलाब का फूल चढ़ाने से हर मनोकामना पूरी होती हैं। शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत के लिए भी कार्तिक पूर्णिमा का दिन बेहद अच्छा माना जाता है।
पौराणिक महत्व
हिन्दू धर्म के अनुसार त्रिपुरासुर ने देवताओं को पराजित कर उनके राज्य छीन लिए थे। भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुरासुर का वध किया था। इसीलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। उसकी मृत्यु के बाद देवताओं में उल्लास था। इसलिए इस दिन को देव दिवाली कहा गया। देवताओं ने स्वर्ग में दीये जलाए थे। मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था।