दही हांडी: परंपरा, खेल, इनाम, सब कुछ है इस उत्सव की शान, जानें दिलचस्प बातें
By गुलनीत कौर | Published: September 3, 2018 09:45 AM2018-09-03T09:45:49+5:302018-09-03T09:45:49+5:30
Janmashtami Dahi handi Interesting Facts in Hindi: हर साल जन्माष्टमी पर महाराष्ट्र और अन्य कुछ राज्यों में भी दही-हांडी का खास आयोजना कराया जाता है।
जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तर भारत से लेकर दक्षिण तक, हर कोई कान्हा के आगमन दिवस को हर्षोल्लास से मनाता है। लेकिन कान्हा से जुड़ी दही हांडी महाराष्ट्र में सबसे अधिक मनाई जाती है। अन्य राज्यों में भी दही-हांडी की रौनक देखने को मिलती है, लेकिन इसका शौक सबसे अधिक महाराष्ट्र के लोगों को होता है।
माखनचोर कान्हा
कहने को तो दही-हांडी एक खेल की तरह ही हैं, लेकिन भगवान कृष्ण से जुड़े होने के कारण लोगों की आस्था भी इस खेल से जुड़ जाती है। पौराणिक मतानुसार भगवान कृष्ण बाल रूप में अपने मित्रों संग मिलकर पास-पड़ोस के घरों में घुस जाते। साथियों के ऊपर चढ़कर माखन से भरी मटकी चुरा लेते और फिर सभी मिलकर माखन खाते। इसी पौराणिक कथा की वजह से भक्त कृष्ण को 'माखनचोर' के नाम से भी पुकारते हैं।
खेल की खास परंपरा
हर साल जन्माष्टमी पर महाराष्ट्र और अन्य कुछ राज्यों में भी दही-हांडी का खास आयोजना कराया जाता है। इसके लिए एक विशेष टीम तैयार की जाती है जो कई दिनों पहले से ही दही-हांडी फोड़ने की प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं।
ये लोग एक के ऊपर एक पिरामिड की तरह चढ़ते हैं। ऊपर काफी ऊंचाई पर हांडी लटकाई जाती है। पिरामिड बनाते समय इन लोगों पर आस पड़ोस के लोग पानी भी फेंकते हैं ताकि फिसलन के चलते ये लोग गिर जाएं और हांडी फोड़ने के लिए दोबारा पिरामिड बनाएं यह एक खेल की तरह होता है जिसमें आस पास के लोग दही-हांडी की टीम के लिए रुकावट बनते हैं। लेकिन अंत में सभी रुकावट को पार कर दही की हांडी को फोड़ा जाता है।
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दही-हांडी फोड़ने पर इनाम
दही-हांडी की यह परम्परा धार्मिक है, लोग इसे खेल की तरह एन्जॉय भी करते हैं लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। दही-हांडी फोड़ने वाली टीम को खास इनाम मिलता है। कुछ जगहों पर दही-हांडी फोड़ने के लिए एक से अधिक टीम होती है। जो टीम बिना गिरे, बिना किसी अड़चन के हांडी फोड़ लेती है, वह इनाम की हकदार होती है।