Islamic New Year 2019:इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से आज से (31 अगस्त) से भारत में नया साल मुहर्रम के महीने के साथ शुरू हो रहा है। इस्लामिक न्यू ईयर को अरबी नववर्ष या हिजरी नववर्ष भी कहा जाता है। शिया लोगों के लिए हालांकि यह समय खुशी का नहीं बल्कि मातम का होता है। मुहर्रम की 10वीं तारीख को इमाम हुसैन शहीद हुए थे। इसी की याद में हर साल इस दिन शिया मुस्लिम शोक मनाते हैं।
Muharram 2019: मुहर्रम में लोग क्या करते हैं?
इस्लाम के अनुसार मुहर्रम को रमजान के बाद दूसरा सबसे पवित्र महीना माना गया है। इस महीने में पैगंबर मुहम्मद के नाती इमाम हुसैन की शहादत और करबला के शहीदों को याद किया जाता है। कहते हैं कि इराक में यजीद नाम का एक क्रूर शासक था। उसने खुद को इस्लामी जगत का खलीफा घोषित कर दिया था। यजीद ने इमाम हुसैन को भी अपने कबीले में शामिल होने को कहा।
इमाम हुसैन ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इसी के बाद यजीद ने हुसैन के खिलाफ जंग छेड़ दिया। करबला के रेगिस्तान में हुए जंग में हुसैन शहीद हुए। यह घटना मुहर्रम महीने के 10वें दिन हुई थी। इसलिए इस दिन उनकी याद में मातम मनाया जाता है। शिया समुदाय के लोग मुहर्रम के दिन काले कपड़े पहनकर सड़कों पर जुलूस निकालते हैं और उनकी शहादत को याद करते हैं।