Holika Dahan 2021: होलिका दहन पर इस बार नहीं है भद्रा का साया, जानें होलिका जलाने का शुभ मुहूर्त
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 18, 2021 12:32 PM2021-03-18T12:32:44+5:302021-03-18T12:32:44+5:30
होलिका दहन इस बार 28 मार्च को है जबकि होली का त्योहार 29 मार्च को मनाया जाएगा। इस बार होलिका दहन पर भद्रा का साया नहीं होगा।
हिंदू धर्म के बड़े त्योहारों में से एक होली इस बार 29 मार्च को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार होली हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पहली तिथि को मनाई जाती है। इस दिन से नया साल भी शुरू होता है। वहीं, इसके ठीक एक दिन पहले यानी फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है।
ऐसे में इस बार होलिका दहन इस बार 28 मार्च को होगा। खास बात ये है कि इस बार होलिका दहन और होली पर भद्रा का साया नहीं है। होलिका दहन के दिन भद्राकाल सुबह शुरू होगा और दोपहर तक खत्म हो जाएगा। ऐसे में शाम में होलिका दहन के समय भद्रकाल नहीं रहेगा।
होलिका दहन: भद्रा समय और होलिका जलाने का शुभ मुहूर्त
भद्राकाल में होलिका दहन सहित कई अन्य शुभ कार्य करने की मनाही होती है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होते है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है। माह के एक पक्ष में भद्रा की चार बार पुनरावृति होती है। इसमें शुक्ल पक्ष की अष्टमी और पूर्णिमा तिथि के पहले सहित चतुर्थी और एकादशी तिथि के उत्तरार्ध में भद्रा होती है।
होलिका दहन के लिए इस बार शुभ मुहूर्त 2 घंटे 21 मिनट का होगा। 28 मार्च को शाम 6.51 बजे से रात 9.12 बजे तक का मुहूर्त शुभ है। इससे पहले भद्रा काल सुबह 10.13 बजे से दोपहर 1 बजे तक होगा।
फाल्गुन के पूर्णिमा तिथि की बात करें तो इसकी शुरुआत 28 मार्च को तड़के 3.27 बजे हो रही है और समापन आधी रात 12.17 बजे हो जाएगा। अगले दिन यानी 20 तारीख को होली मनाई जाएगी।
Holika Dahan 2021: होलिका दहन पूजा विधि
होलिका दहन से पहले कई जगहों पर उसकी पूजा की परंपरा है। भारत में कई स्थानों पर महिलाएं भी जाकर होलिका की पूजा करती हैं। वहीं, कुछ जगहों पर केवल पुरुष होलिक दहन के स्थान पर जाते हैं।
पूजा के लिए इसमें अक्षत, चंदन, रोली, हल्दी, गुलाल, फुल, गुलरी, जल, सुपारी आदि का इस्तेमाल किया जाता है। होलिका दहन पूजा करते समय पूजा करने वाले व्यक्ति को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर से मुख करके बैठना चाहिए।
पूजा में बताशे और नई फसल के अन्न का भी इस्तेमाल करने की परंपरा है। दहन से पहले मौली, फूल, गुलाल, गोबर से बने खिलौनों की मालाएं आदि होलिका पर चढ़ाई जाती है। होलिका के चारों ओर तीन या सात बार परिक्रमा करना चाहिए। साथ ही जल समेत पूजा की अन्य चीजें भी होलिका पर समर्पित करनी चाहिए। पूजा के बाद जल से अर्घ्य जरूर दें।