Hazarat Ali's Birthday: हज़रत अली पर ज़हर वाली तलवार से हुए हमले का किस्सा पढ़कर कांप जाएगी रूह

By उस्मान | Published: March 30, 2018 07:21 AM2018-03-30T07:21:45+5:302018-03-30T08:32:53+5:30

Hazarat Ali's Birthday (हज़रत अली जन्मदिन): ऐसा कहा जाता है कि हज़रत अली की मां उनकी पैदाइश के पहले, जब काबे शरीफ के पास गई, तो अल्लाह के हुक्म से काबे की दीवार ने मां को रास्ता दे दिया था।

hazrat ali life unknown facts, biography and how he died | Hazarat Ali's Birthday: हज़रत अली पर ज़हर वाली तलवार से हुए हमले का किस्सा पढ़कर कांप जाएगी रूह

Hazarat Ali Birthday 2018 (हज़रत अली जन्मदिन 2018)

हज़रत अली का जन्मदिन इस्लामी महीने रजब (इस्लामिक कैलंडर का सातवां महीना) की 13 तारीख को मनाया जाता है। इस बार यह तारीख 30 मार्च को पड़ रही है। यह दिन हर साल हज़रत अली और उनके कार्यों को याद करने के लिए उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ एकत्रित होकर नमाज़ अदा करते हैं और कुरान पढ़ते हैं। अली की पैदाइश अल्लाह के घर पवित्र काबे शरीफ मे हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि उनकी मां उनकी पैदाइश के पहले जब काबे शरीफ के पास गई, तो अल्लाह के हुक्म से काबे की दीवार ने मां को रास्ता दे दिया था।

कौन थे हज़रत अली

हज़रत अली इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद थे। उनका पूरा नाम अली इब्ने अबी तालिब है। उनका जन्म मुसलमानों के पवित्र स्थल काबे के अंदर हुआ। अली के साथ-साथ उनका पूरा परिवार नेक-दिली के लिए जाना जाता है। वो बहुत ही उदार भाव रखने वाले व्यक्ति थे। अपने कार्यों, साहस, विश्वास और दृढ संकल्प होने के कारण मुस्लिम संस्कृति में हजरत अली को बहुत ही सम्मान के साथ जाना जाता है। अपने पूरे जीवनकाल में वो इस्लामी लोगों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बने और इस्लाम धर्म के इतिहास में उनका नाम आज भी बहुत ही माना और याद किया जाता है।

खलीफा बनने को लेकर रहा विवाद

हजरत मुहम्मद साहब की मृत्यु के बाद जिन लोगों ने अपनी भावना से हज़रत अली को अपना इमाम चुना, वो लोग शिया कहलाते हैं। शिया विचारधारा के लोगों के अनुसार, हज़रत अली को पहला खलीफा बनना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्हें तीन और लोगों के बाद खलीफा बनाया गया। सुन्नी विचारधारा के लोग अली को चौथा खलीफा ही मानते हैं। सुन्नी विचारधारा के लोगों ने मुहम्मद की मौत के बाद अबू बकर को, उनके बाद उमर को, उनके बाद उस्मान को और उसके बाद अली को अपना खलीफा मान लिया। जबकि शिया मुसलमान खलीफा के इस चुनाव को गलत मानते हैं। 

जब अली पर हुआ ज़हर में डूबी हुई तलवार से वार

अली रमज़ान में हर रात इफ़्तार के लिए अपने किसी न किसी बेटे या बेटी के घर जाया करते थे। एक रात वो अपनी छोटी बेटी हज़रत उम्मे कुलसूम के घर गए। 18 रमज़ान (इस्लामिक कैलंडर का नौवां महीना) की रात अली ने रोज़ा इफ्तार किया। 19 रमज़ान को सुबह की नमाज़ पढ़ाने के लिए अली मस्जिद पहुंचे। नमाज़ पढ़ते हुए जब वो सज्दे में गए तो 'अब्दुर्रहमान इब्ने मुलजिम' नामक व्यक्ति ने ज़हर भरी तलवार से उनके सिर पर एक वार किया। इस वार से उनका सिर माथे तक फट गया और खून बहने लगा। इसके बाद उनके बेटे उन्हें घर ले गए। 

हमला करने वाले को माफ किया

हमला करने वाले व्यक्ति इब्ने मुल्जिम को इमाम अली के पास लाया गया। उसे डरता हुआ और रोता देख अली ने अपने बेटे इमाम हसन से कहा कि इसके साथ बुरा व्यवहार न करना। अगर मैं दुनिया से चला गया, तो भी इसे क्षमा कर देना और अगर मैं जीवित रहा, तो मुझे पता है कि इसके साथ क्या करना है और मैं क्षमा करने में यकीन रखता हूं। चूंकि अली के शरीर में ज़हर फैल गया था और हकीमों ने हाथ खड़े कर दिए थे और फिर 21 रमजान को उनकी मौत हो गई। 

शबे क़द्र की रात हुआ हमला

अली पर शबे क़द्र की रात ही हमला हुआ था। यह रात इस्लाम में पवित्र मानी जाने वाली रातों में से एक है। शबे क़द्र में दुआ करना, एक हज़ार महीने की दुआ से बेहतर है। इसी रात में कुरान पढ़ने, दुआ और रात भर जाग कर इबादत करने की बहुत अधिक सिफ़ारिश की गई है। अली इस रात लोगों को खाना खिलाया करते थे और उन्हें उपदेश देते थे। 

(फोटो- पिक्साबे) 

Web Title: hazrat ali life unknown facts, biography and how he died

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे