Hazarat Ali's Birthday: क्षमा देने में यकीन रखते थे हज़रत अली, तलवार से हमला करने वाले को भी कर दिया था माफ

By उस्मान | Published: March 20, 2019 07:12 AM2019-03-20T07:12:53+5:302019-03-20T07:16:45+5:30

Hazrat Ali birthday 2019: हज़रत अली इस्लाम धर्म के संस्थापक हज़रत मुहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद थे। उनका पूरा नाम अली इब्ने अबी तालिब है।

Hazrat Ali birthday 2019: biography, names, quotes, bayan, hadees, death, family, history, unknown facts | Hazarat Ali's Birthday: क्षमा देने में यकीन रखते थे हज़रत अली, तलवार से हमला करने वाले को भी कर दिया था माफ

फोटो- पिक्साबे

हज़रत अली का जन्मदिन (Hazrat Ali birthday 2019) इस्लामी महीने रजब (इस्लामिक कैलंडर का सातवां महीना) की 13 तारीख को मनाया जाता है। इस बार यह तारीख 20 मार्च को है। हज़रत अली इस्लाम धर्म के संस्थापक हज़रत मुहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद थे। उनका पूरा नाम अली इब्ने अबी तालिब है। आज के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ एकत्रित होकर नमाज़ अदा करते हैं और कुरान पढ़ते हैं। 

कौन थे हज़रत अली (Biography of Hazrat Ali)

हज़रत अली का पूरा नाम अली इब्ने अबी तालिब है। उनका जन्म मुसलमानों के पवित्र स्थल काबे के अंदर हुआ। अली के साथ-साथ उनका पूरा परिवार नेक-दिली के लिए जाना जाता है। वो बहुत ही उदार भाव रखने वाले व्यक्ति थे। अपने कार्यों, साहस, विश्वास और दृढ संकल्प होने के कारण मुस्लिम संस्कृति में हजरत अली को बहुत ही सम्मान के साथ जाना जाता है। अपने पूरे जीवनकाल में वो इस्लामी लोगों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बने और इस्लाम धर्म के इतिहास में उनका नाम आज भी बहुत ही माना और याद किया जाता है।

खलीफा बनने को लेकर रहा विवाद (Interesting facts about Hazrat Ali) 

हजरत मुहम्मद साहब की मृत्यु के बाद जिन लोगों ने अपनी भावना से हज़रत अली को अपना इमाम चुना, वो लोग शिया कहलाते हैं। शिया विचारधारा के लोगों के अनुसार, हज़रत अली को पहला खलीफा बनना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्हें तीन और लोगों के बाद खलीफा बनाया गया। सुन्नी विचारधारा के लोग अली को चौथा खलीफा ही मानते हैं। सुन्नी विचारधारा के लोगों ने मुहम्मद की मौत के बाद अबू बकर को, उनके बाद उमर को, उनके बाद उस्मान को और उसके बाद अली को अपना खलीफा मान लिया। जबकि शिया मुसलमान खलीफा के इस चुनाव को गलत मानते हैं। 

जब अली पर हुआ ज़हर में डूबी हुई तलवार से वार

अली रमज़ान में हर रात इफ़्तार के लिए अपने किसी न किसी बेटे या बेटी के घर जाया करते थे। एक रात वो अपनी छोटी बेटी हज़रत उम्मे कुलसूम के घर गए। 18 रमज़ान (इस्लामिक कैलंडर का नौवां महीना) की रात अली ने रोज़ा इफ्तार किया। 19 रमज़ान को सुबह की नमाज़ पढ़ाने के लिए अली मस्जिद पहुंचे। नमाज़ पढ़ते हुए जब वो सज्दे में गए तो 'अब्दुर्रहमान इब्ने मुलजिम' नामक व्यक्ति ने ज़हर लगी तलवार से उनके सिर पर एक वार किया। इस वार से उनका सिर माथे तक फट गया और खून बहने लगा। इसके बाद उनके बेटे उन्हें घर ले गए। 

हमला करने वाले को माफ किया

हमला करने वाले व्यक्ति इब्ने मुल्जिम को इमाम अली के पास लाया गया। उसे डरता हुआ और रोता देख अली ने अपने बेटे इमाम हसन से कहा कि इसके साथ बुरा व्यवहार न करना। अगर मैं दुनिया से चला गया, तो भी इसे क्षमा कर देना और अगर मैं जीवित रहा, तो मुझे पता है कि इसके साथ क्या करना है और मैं क्षमा करने में यकीन रखता हूं। चूंकि अली के शरीर में ज़हर फैल गया था और हकीमों ने हाथ खड़े कर दिए थे और फिर 21 रमजान को उनकी मौत हो गई।

शबे क़द्र की रात हुआ हमला

अली पर शबे क़द्र की रात ही हमला हुआ था। यह रात इस्लाम में पवित्र मानी जाने वाली रातों में से एक है। शबे क़द्र में दुआ करना, एक हज़ार महीने की दुआ से बेहतर है। इसी रात में कुरान पढ़ने, दुआ और रात भर जाग कर इबादत करने की बहुत अधिक सिफ़ारिश की गई है। अली इस रात लोगों को खाना खिलाया करते थे और उन्हें उपदेश देते थे। 

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