गुरु पूर्णिमा के मौके पर मंगलवार को प्रयागराज के 'त्रिवेणी संगम' में डुबकी लगाने के लिए हजारों श्रद्धालु जुटे। देश भर में दूसरे स्थानों पर भी यही दश्य नजर आया। गुरु पूर्णिमा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन गुरुओं की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही पूर्णिमा होने की वजह से लोग पवित्र नदियों डुबकी लगाते हैं। वैसे, गुरु पूर्णिमा के दिन आज ही चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण आधी रात के बाद 1.31 बजे से लगेगा लेकिन इसका सूतक शाम 4.31 बजे से ही शुरू हो जाएगा। ऐसे में शाम 4.30 बजे से कोई भी शुभ काम या पूजा-पाठ नहीं किया जा सकेगा।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन को महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिवस भी मनाया जाता है। साथ ही सभी 18 पुराणों का रचयिता भी महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। वेदों को विभाजित करने का भी श्रेय व्यास जी को जाता है। वेदव्यास जी को आदिगुरु भी कहते हैं और इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
Sai Baba Shirdi: शिरडी में होता है विशेष आयोजन
गुरु पूर्णिमा के मौके पर देश भर के साईं मंदिरों में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे हैं। इससे पहले सोमवार को कई साईं मंदिरों में श्रीसाईं की पालकी यात्रा भी निकाली गई थी। इस यात्रा में श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर साईं का स्वागत किया। गुरु पूर्णिमा के मौके पर सबसे विशेष आयोजन महाराष्ट्र स्थित शिरडी के साईं मंदिर में होता है। गुरु पूर्णिमा के मौके पर शिरडी में 3 दिनों का उत्सव मनाया जाता है और इसमें हिस्सा लेने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। इस दिन शिरडी में साईं बाबा को गुरु दक्षिण देने की भी परंपरा है और लोग बड़ी संख्या में चढ़ावा चढ़ाते हैं।