इस साल नवरात्रि की शुरुआत 18 मार्च से हो रही है। इसी दिन महाराष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण पर्व गुड़ी पड़वा पड़ रहा है। महाराष्ट्र के अलावा इस त्योहार को अन्य राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा का त्यौहार नववर्ष या नव-सवंत्सर के आरंभ की खुशी में मनाया जाता है। पंचाग के मुताबिक प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नए साल की शुरुआत होती है। इस दिन घरों में अलग उत्सव देखने को मिलता है। पारंपरिक तरीके से इस दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई कर घरों के सामने गुड़ी को सजाकर लटकाया जाता है। मराठी महिलाएं और पुरुष पारंपरिक वस्त्र धारण करते हैं। महिलाएं 9 गज की साड़ियां और पुरुष कुर्ता पजामा पहनते हैं।
जैसा कि इस दिन से नए साल की शुरुआत होती है। वृश्रों में नए पत्तियों का आना, मौसम परिवर्तन, नए फसलों की तैयारी आदि के लिए इस त्योहार को मानने की मान्यताएं हैं। परिजन इस पर्व को इकट्ठे होकर मनाते हैं व एक-दूसरे को नव संवत्सर की बधाई देते हैं। नव वर्ष के मौके पर अपने मित्रों व करीबियों को शुभ संदेश या विश भेजना चाहते हैं तो आप इन्हें वाह्टएप्प या मैसेज के जरिए भेज सकते हैं।
आपको आर्शीवाद मिले गणेश जी से विद्या मिले सरस्वती से दौलत मिले,लक्ष्मी से खुशियां मिले, रब से प्यार मिले, सब से पूरी हो हर आपकी इच्छाहैप्पी गुड़ी पड़वा
दोस्तों गुड़ी पड़वा आया अपने साथ नया साल लायाइस नए साल में आओ मिल सब गले मिले और मनाएं गुड़ी पड़वा दिल सेहैप्पी गुड़ी पड़वा
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खुशियां हो ओवरफ्लोमस्ती का सुरूर छाया रहेधन और शोहरत की हो बौछारऐसा आए आपको लिए गुड़ी पड़वा का त्योहारहैप्पी गुड़ी पड़वा
आई हैं बहारे, नाचे हम और तुम पास आए, खुशियां और दूर जाए गम प्रकृति की लीला है छाईसभी को दिल से गुड़ी पड़वा की बधाई
नए पत्ते आते है, वृक्ष खुशी से झूम जात हैंऐसे मौसम में ही तो नया आगाज होता हैहम यूं ही हैप्पी न्यू ईयर मनाते हैहिंदू धर्म में यह त्यौहार प्राकृतिक बदलाव से लाते है
चुलबुला सा प्यारा सा बीते यह साल नव वर्ष में हो खुशियों का धमाल गणगौर माता का मिले आशीषइसी दुआ में झुकाते हैं शीष हर दिन हो मुस्कान से खिला छाई रहें खुशियों की मधुर बेला
वृक्षों पर सजती नए पत्तों की बहार हरियाली से महकता प्रकृति का व्यवहार ऐसा सजता है गुड़ी का त्योहार मौसम ही कर देता नववर्ष का सत्कार
ऋतु से बदलता हिंदू साल नए वर्ष की छाती मौसम में बहार बदलाव दिखता प्रकृति में हर तरफऐसा होता हिंदू नववर्ष का त्योहार
गुड़ी पड़वा की अनेक कथाएं गुड़ी ही विजय पताका कहलाए पेड़ पौधों से सजता है चैत्र माहइसलिए हिंदू धर्म में यह नव वर्ष कहलाए
प्रेम और सौहाद्र से करते नव वर्ष का आगाज सभी दिलों में प्रेम रहे और बढ़े ज्ञान रुपी प्रकाश नव वर्ष की बैला छाई है हर जगहचलो मनाए हिंदू नव वर्ष फिर एक साथ
बीते पल अब यादों का हिस्सा हैंआगे खुशियों का नया फरिश्ता हैबाहे फैलाए करो नए साल का दीदार आया है आया है गुड़ी का त्योहार