Gopashtami 2019: क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी, पढ़िए इसकी पौराणिक कथा और मान्यता

By मेघना वर्मा | Published: November 3, 2019 12:05 PM2019-11-03T12:05:02+5:302019-11-03T12:05:02+5:30

हिन्दू संस्कृति में गाय का विशेष महत्व है और उन्हीं को समर्पित हैं ये पर्व गोपाष्टमी। गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गौशाला में गोसंवर्धन हेतु गौ पूजन का आयोजित किया जाता है।

Gopashtami 2019: History of Gopashtami, why we celebrate Gopashtami, story and kahani, katha behind Gopashtami | Gopashtami 2019: क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी, पढ़िए इसकी पौराणिक कथा और मान्यता

Gopashtami 2019: क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी, पढ़िए इसकी पौराणिक कथा और मान्यता

Highlightsकार्तिक महीने में पड़ने वाली अष्टमी को गोपाष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन सभी परिवार के लोग गौ यानी गाय की विधि विधान से पूजा करते हैं।

सनातन धर्म में अष्टमी तिथी को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। फिर चाहे वो नवरात्रि की अष्टमी हो या कार्तिक के शुक्ल पक्ष की। कार्तिक महीने में पड़ने वाली अष्टमी को गोपाष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन गाय की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस साल 4 नवंबर को गोपाष्टमी की ये उसत्व पड़ रहा है। 

ब्रज में भारतीय संस्कृति का ये प्रमुख पर्व बड़ी धूम से मनाया जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से सपत्मी तक श्रीकृष्ण ने गो-गोप-गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। तब से ये पर्व आज तक मनाया जाता आ रहा है। सिर्फ यही नहीं एक मान्यता ये भी है कि इसी दिन से भगवान श्रीकृष्ण ने गायों को चराना भी शुरू किया था। इसीलिए इस पर्व को बड़ी धूम से मनाते हैं। 

हिन्दू संस्कृति में गाय का विशेष महत्व है और उन्हीं को समर्पित हैं ये पर्व गोपाष्टमी। गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गौशाला में गोसंवर्धन हेतु गौ पूजन का आयोजित किया जाता है। इस दिन सभी परिवार के लोग गौ यानी गाय की विधि विधान से पूजा करते हैं।

गोपाष्टमी की तिथि व मुहूर्त

गोपाष्टमी - 4 नवंबर 2019

गोपाष्टमी तिथि प्रारंभ -  प्रातः 02:56 (4 नवंबर 2019)

गोपाष्टमी तिथि अंत -   प्रातः 04:57  (5 नवंबर 2019)

क्यों मनाते हैं गोपाष्टमी 

प्राचीन कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने जब छठे वर्ष की आयु में प्रवेश किया तब एक दिन भगवान माता यशोदा से बोले – “मैय्या अब हम बड़े हो गए हैं
मैय्या यशोदा बोलीं - अच्छा लल्ला अब तुम बड़े हो गए हो तो बताओ अब क्या करें
भगवान ने कहा - अब हम बछड़े चराने नहीं जाएंगे, अब हम गाय चराएंगे
मैय्या ने कहा - ठीक है बाबा से पूछ लेना 
यशोदा मां के इतना कहते ही झट से भगवान नन्द बाबा से पूछने पहुंच गए।
बाबा ने कहा - लाला अभी तुम बहुत छोटे हो अभी तुम बछड़े ही चाराओं
भगवान ने कहा - बाबा अब में बछड़े नहीं जाएंगे, गाय ही चराऊंगा 
जब भगवान नहीं मने तब बाबा बोले- ठीक है लाल तुम पंडत जी को बुला लाओ- वह गौ चारण का महुर्त देख कर बता देंगे

बाबा की बात सुनकर भगवान झट से पंडित जी के पास पहुंचे और बोले - पंडित जी ! आपको बाबा ने बुलाया है, गौ चारण का महुर्त देखना है, आप आज ही का महुर्त बता देना मैं आपको बहुत सारा माखन दूंगा। 
पंडित जी नन्द बाबा के पास पहुंचे और बार-बार पंचांग देख कर गड़ना करने लगे तब नन्द बाबा ने पूछा- पंडित जी क्या बात है ? आप बार-बार के गिन रहे हैं ? पंडित जी बोले - क्या बताएं नन्दबाबा जी केवल आज का ही मुहुर्त निकल रहा है, इसके बाद तो एक वर्ष तक कोई मुहुर्त नहीं है। 
पंडित जी की बात सुन कर नंदबाबा ने भगवान को गौ चारण की स्वीकृति दे दी। भगवान जी समय कोई कार्य करें वही शुभ-मुहुर्त बन जाता है। उसी दिन भगवान ने गौ चारण आरम्भ किया और वह शुभ तिथि कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी। उसी दिन से भगवान के गौ-चारण आरम्भ करने के कारण यह तिथि गोपाष्टमी कहलाई।

 

Web Title: Gopashtami 2019: History of Gopashtami, why we celebrate Gopashtami, story and kahani, katha behind Gopashtami

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे